PETA इंडिया की शिकायत के बाद वन विभाग ने दो घरों में अवैध रूप से रखे गए संरक्षित प्रजाति के तोते जब्त किए

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एक सजग नागरिक से मिली जानकारी के बाद PETA इंडिया द्वारा दायर एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, पश्चिम बंगाल के वन विभाग ने 2 अगस्त 2021 को कोलकाता के साल्ट लेक इलाके के दो परिवारों द्वारा अवैध रूप से कैद किए गए संरक्षित प्रजाति के चार तोते जब्त किए। इस संबंध में, अधिकारियों ने “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972” की धारा 9, 39, 40, 44 और 49 के तहत FIR दर्ज की है। “पैराकीट” नामक तोतों की यह प्रजाति WPA के तहत संरक्षित है और इन्हें पकड़ना या कैद करना एक दंडनीय अपराध है। जिस समय इन पक्षियों को जब्त किया गया, तब इन्हें छोटे से पिंजरों में कैद रखा गया था

वर्तमान में, इन पक्षियों को वन विभाग के बचाव केंद्र में रखा गया है और पशु चिकित्सक द्वारा जांच के बाद इन्हें इनके प्राकृतिक आवास यानी खुले आसमान में छोड़े जाने की उम्मीद है।

अपने प्रकृतिक जीवन में यह पक्षी अनेकों तरह की सामाजिक गतिविधियों में लीन रहते हैं जैसे कि रेत में नहाना, लुका छुपी खेलना, नाचना, साथी दोस्तों के साथ मिलकर घोंसले बनाना व अपने नन्हें बच्चों की परवरिश करना। लेकिन जब इन पक्षियों को पिंजरों में कैद कर लिया जाता है तो यह खुशदिल पक्षी उदास व निराश हो जाते हैं। वह तनाव के चलते खुद को चोटिल कर लेते हैं। बहुत से लोग इन पक्षियों के पर कुतर देते हैं ताकि वह आसमान में ना उड़ सकें हालांकि पक्षियों के लिए उड़ना उतना ही जरूरी है जितना कि इन्सानों के लिए चलना फिरना। अक्सर कैदी पक्षियों को बंद डब्बों में भरके बेचने के लिए परिवाहित किया जाता है, जिनमें से बहुत से पक्षियों की टूटे हुए पंखों या पैरों के कारण और तनाव एवं भूख-प्यास के चलते रास्ते में ही मृत्यु हो जाती है।

जंगली जानवरों का उचित स्थान उनका प्राकृतिक आवास हैं और लाभ के लिए उनका शोषण करना या उन्हें “पालतू पशु” के रूप में कैद में रखना नैतिक रूप से गलत और दंडनीय दोनों है। “वन्यजीव संरक्षण कानून” के तहत देशी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के पकड़ने, पिंजरों में कैद करके रखने और उनकी खरीद फ़रोक्त करने पर रोक है। अनुसूची I के तहत संरक्षित तोतों की प्रजाति से जुड़े अपराध में कम से कम तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और कम से कम 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है, जबकि अनुसूची IV के तहत संरक्षित तोतों की प्रजाति से जुड़े अपराध के अंतर्गत तीन साल तक की कैद और 25,000 रुपये तक के जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। पक्षियों को पिंजरों में बंद करना “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” का उलंघन है जिसमे कहा गया है कि किसी भी जानवर को किसी पिंजरे में बंद करना या किसी ऐसे स्थान में कैद रखना जो उसकी ऊंचाई, लंबाई व चौड़ाई के अनुसार पर्याप्त नहीं है व जहां वह जानवर या पक्षी ठीक से मूमेंट भी न कर पाये वह गैरकानूनी है।

 

आप मदद कर सकते हैं:

  • पक्षियों को न खरीदे या उन्हें कैद न करें।
  • यदि आप किसी पक्षी का पुनर्वास करना चाहते हैं ताकि उसे मुक्त किया जा सके या बेहतर जीवन हेतु उपयुक्त अभयारण्य में भेजना चाहते हैं तो कृपया ऐसा अपने स्थानीय वन विभाग या किसी पशु संरक्षण समूह से सहायता लेकर ही करें।