‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ के अवसर पर PETA इंडिया के समर्थकों ने शिशु पोशाक पहनकर जनता से डेयरी का त्याग करने का आग्रह किया

Posted on by Shreya Manocha

विश्व स्तनपान सप्ताह (1 से 7 अगस्त) के अवसर पर, PETA इंडिया और आश्रय फाउंडेशन के समर्थकों ने बेंगलुरु में 2.5 मीटर लंबी इन्फ्लैटेबल शिशु पोशाक पहनकर लोगों को Nourish You के ठंडे-ठंडे वीगन दूध के पैकेट बांटें जिसका उत्पादन मेवे और अन्य पेड़-पौधों से प्राप्त सामग्री से किया जाता है। इस दौरान उन्होंने अपने हाथ में एक साइन भी पकड़ा जिसपर लिखा था, “पशुओं का दूध उनके बच्चों के लिए है! मनुष्यों के लिए नहीं।“ इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनता को यह याद दिलाना था कि सभी स्तनपायी प्रजातियों की माताएँ – जिनमें गाय और मनुष्य भी शामिल हैं – अपने बच्चों के लिए दूध का उत्पादन करती हैं और एक उम्र के बाद किसी को भी दूध की आवश्यकता नहीं होती है।

 

मांस, अंडा, और डेयरी उत्पादन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है और इसके परिणामस्वरूप महासागर मृत क्षेत्र, भूमि उपयोग से आवास विनाश और प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण है। यह दुनियाभर के मीठे पानी के एक तिहाई संसाधनों का उपयोग करता है और कुछ अनुमानों के अनुसार, इसके कारण दुनियाभर के परिवहन से होने वाले गैस उत्सर्जन से कही अधिक ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन होता है। Oxford University के शोध के अनुसार, वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति अपने कार्बन फुटप्रिंट को 73% तक कम कर सकता है। वीगन जीवनशैली इस ग्रह पर अपने नकारात्मक प्रभाव को कम करने का सबसे सफल तरीका है।

मांस, अंडे और डेयरी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुर्गियां इतने छोटे व तंग पिंजरों में कैद करके रखी जाती हैं कि वे एक पंख भी नहीं फैला पाती।  गायों और भैंसों को इतनी बड़ी संख्या में वाहनों में ठूंस दिया जाता है कि कत्लखाने तक ले जाने से पहले अक्सर उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं, और मांस के लिए मारे जाने वाले जिंदा सूअरों के दिल में चुरा घोंप दिया जाता है। मछलियों को समुद्र से निकाल कर जिंदा तड़फने के लिए मछली पकड़ने वाली नावों के डेक पर फेंक दिया जाता है और सचेत अवस्था में होने के दौरान बिना किसी तरह की बेहोशी की दवा दिये उनके अंगों को काट दिया जाता है। नर चूजे आगे चलकर अंडे नहीं दे पाएगे इसलिए अंडा उद्योग में उन्हें बेकार मानकर जिंदा जमीन में दफन करके, जलाकर, पीसकर, कुचलकर या फिर मछलियों का चारा बनाकर दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतार दिया जाता है और उसी तरह से डेयरी उद्योग में नर बछड़ों को बेकार मानकर उनकी माताओं से अलग करके उन्हें भूखे प्यासे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।

जिन लोगों को दूध का मलाईदार स्वाद पसंद हैं, उनके लिए विभिन्न प्रकार के मेवे, जई, बीज, बाजरा, सोया, चावल या अन्य वीगन चीजों से बना दूध एक पौष्टिक और स्वादिष्ट विकल्प है।

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