PETA इंडिया की अपील के बाद गोवा ने जानलेवा मांझे पर रोक लगाई

Posted on by Shreya Manocha

PETA, इंडिया द्वारा मांझे के कारण होने वाली पक्षियों और मनुष्यों की मौतों के समाधान हेतु की गयी अपील के परिणामस्वरूप, गोवा पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने अपनी मौजूदा नीति में संशोधन किया है और धारा 5 के तहत एक अधिसूचना जारी की है। इस संशोधन के उपरांत ‘पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986’ के अंतर्गत एक अधिसूचना जारी की है जिसमें गोवा सरकार ने इन्सानों, पक्षियों, अन्य जानवरों एवं पर्यावरण की सुरक्षा के मद्देनज़र सरकार ने तीखे माँझे पर प्रतिबंध लगाया है। इस आदेश के तहत पतंगबाजी के लिए केवल सूती धागे का इस्तेमाल करने की अनुमति है व सूती डोर को तीखा बनाने के लिए उसपर किसी भी तरह का काँच, मेटल व अन्य कोई लेप नहीं चड़ा होना चाहिए। इस अधिसूचना में यह भी उल्लेखित किया गया है कि आर्टिफ़िश्यल रूप से मज़बूत बनाए गए मांझे का उपयोग भारतीय दंड संहिता, 1860 (अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 द्वारा प्रतिस्थापित), पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

 

सरकार द्वारा जारी यह अधिसूचना में शीशे व अन्य पदार्थों के लेप चड़े घातक माँझे के इस्तेमाल को मनुष्यों एवं पशु पक्षियों को जानलेवा बताया गया है, शहर में बिजली गुल होने का एक कारण भी माँझा है, एक बिजली की लाइन में व्यवधान डालने से 10,000 लोग प्रभावित होते हैं। बेघर जानवर भोजन की तलाश में भोजन के साथ साथ ऐसे धागे (मांझे) भी निगल जाते हैं जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। चंडीगढ़दिल्लीहरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और त्रिपुरा की सरकारे पहले से ही माँझे के इस्तेमाल के संबंध में इसी तरह की अधिसूचनाएं जारी कर चुकी हैं।

मांजा, अपने सभी रूपों में, मनुष्यों, पक्षियों, अन्य जानवरों और पर्यावरण को खतरे में डालता है। धारदार माँझे के प्रयोग के कारण, हर साल बहुत से जानवर एवं इंसान चोटिल होते हैं और अपनी जान गँवाते हैं। इस साल की शुरुआत में अमृतसर में एक लड़की के चेहरे पर तेज मांजा लगने से 44 टांके आए थे और फगवाड़ा में एक लड़के के चेहरे और गर्दन पर पतंग के धागे से लगे घाव के कारण 30 टांके आए थे। मोहाली में पतंग की तेज डोर से एक व्यक्ति की अंगुलियां और नाक जख्मी हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।  लुधियाना में एक 4 साल के लड़के के गाड़ी की खिड़की से बाहर मुंह निकालने पर माँझा फँसने से चहरे पर गंभीर चोटे आई और उससे 120 टांके लगाने पड़े।

इस घातक माँझे का पक्षियों की आबादी पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। माँझे की चपेट में आने से अक्सर पक्षियों के पंख व पैर कट जाते हैं, व वह अक्सर ऐसे गंभीर घावों एवं जख्मों के शिकार होते हैं की बचावकर्ता भी उनकी मदद नहीं कर पाते और वह धीमी और दर्दनाक मौत का सामना करते हैं।

इस साल की शुरुआत में, PETA इंडिया की अपील के बाद, केंद्र सरकार की वैधानिक संस्था, भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को EPA, 1986 के तहत अपनी संबंधित अधिसूचनाओं में संशोधन करने की सलाह दी, ताकि सभी तरह के मांझे पर प्रतिबंध लगाया जा सके और पतंग उड़ाने के लिए केवल साधे सूती धागे पर प्रतिबंध लगाया जा सके।

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