PETA इंडिया द्वारा वायनाड में आई आपदा के दौरान पशुओं की जान बचाते हुए कुछ भावुक क्षण
केरल के वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन की प्रतिक्रिया स्वरूप, PETA इंडिया ने संकट में फंसे पशुओं को बचाने और सहायता प्रदान करने के लिए एक टीम बनाकर कार्य किया। इस समर्पित टीम, जिसमें एक पशुचिकित्सक और सह-पशुचिकित्सक शामिल थे, ने भूस्खलन से प्रभावित कुत्तों, बिल्लियों, मुर्गियों और अन्य पशुओं की जान बचाने के लिए भोजन, दवा और बचाव उपकरणों के साथ घटना स्थल का दौरा किया। PETA इंडिया इस परियोजना पर इंडिया प्रोजेक्ट फॉर एनिमल्स एंड नेचर (IPAN) के साथ मिलकर कार्य कर रहा है और हमें पीपल फॉर एनिमल्स तिरुवनंतपुरम का भी समर्थन प्राप्त हुआ है।
PETA इंडिया द्वारा बचाए गए अनेक पशुओं में एक कुत्ता भी शामिल था जो एक मंदिर के सामने बैठा हुआ पाया गया था जो भूस्खलन के कारण बह गया था। यह कुत्ता बेहद सदमे में था और मंदिर स्थल से हटने को तैयार नहीं था, लेकिन इसे अच्छे से खाना खिलाने के बाद रक्षित रूप से स्थानांतरण हेतु IPAN की टीम के पास ले जाया गया। एक अन्य कुत्ता, जिसका मालिक उसे लावारिस छोड़कर भाग गया था, को एक अन्य दयालु नागरिक द्वारा गोद लिया गया। PETA इंडिया ने इन सभी पशुओं की सहायता हेतु भोजन और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराएं। हमें यहाँ एक खोया हुआ पोमेरेनियन भी मिला, जो घबराकर इधर-उधर घूम रहा था। PETA इंडिया द्वारा इसे भोजन दिया गया और IPAN ले जाया गया। इसके अतिरिक्त, IPAN द्वारा एक बिल्ली और उसके बिल्ली के बच्चों को एक टूटी हुई छत के नीचे दबे हुए पाया गया। इन सभी पशुओं को सुरक्षित बचा लिया गया। हम घटनास्थल पर हुए भारी नुकसान के कारण वाहन प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में असमर्थ थे, इसलिए PETA इंडिया की टीम ने पशुओं को बचाने और उन्हें सुरक्षित रूप से इंतजार कर रहे वाहन तक पहुंचाने के लिए उपकरणों के साथ कई किलोमीटर तक पैदल यात्रा भी करी।
अब तक PETA इंडिया ने एक मुर्गे और दर्जनों कुत्तों और बिल्लियों को घटनास्थल से भुखमरी की अवस्था से बचाया। PETA इंडिया को केरल राज्यकीय पशुपालन विभाग, जिला पशु चिकित्सा अस्पताल कलपेट्टा के निदेशक डॉ. मनोज कुमार के साथ जिला पशु अस्पताल कलपेट्टा के निदेशक डॉ. मनोज कुमार और जिला पशु कल्याण अधिकारी डॉ. राजेश R ने इन कार्यों के दौरान अमूल्य सहायता प्रदान की।
PETA इंडिया जनता को PETAIndia.com के माध्यम से PETA इंडिया के सदस्य बनकर पशु-राहत और बचाव प्रयासों में मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
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