गांधी जयंती के सम्मान में, PETA इंडिया भारत के फार्माकोलॉजी शिक्षकों को मुफ्त सिमुलेशन सॉफ्टवेयर प्रदान करेगा
देश भर में शिक्षण और प्रशिक्षण विधियों में जानवरों के इस्तेमाल को बदलने हेतु चलायी जा रही मुहीम के हिस्से के रूप में, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया सिमकोलॉजी के साथ मिलकर गांधी जयंती के अवसर पर सिमकोलॉजी कंपनी का वर्चुअल एनिमल सिमुलेशन सॉफ्टवेयर शिक्षकों में वितरित करेगा। इस अभूतपूर्व सहयोग के द्वारा फार्माकोलॉजी के छात्रों को अनगिनत चूहों, गिनी पिग्स, खरगोशों, व अन्य जीवों पर परीक्षण की बजाए कम्प्यूटर आधारित व आधुनिक शिक्षण विधियों के माध्यम से सीखने में मदद मिलेगी।
महात्मा गांधी जी ने जानवरों पर होने वाले प्रयोगों का पुरजोर विरोध किया था और कहा था- “मैं अपनी अंतरात्मा से इस कृत्य से घृणा करता हूँ। यताकथित विज्ञान और मानवता के नाम पर निर्दोषों की अक्षम्य हत्याओं का मैं समर्थन नहीं करता और इन मासूमों के खून से सनी सभी वैज्ञानिक खोजों को व्यर्थ मानता हूँ”
यह सॉफ्टवेयर उन प्रयोगों को बदलने में मदद करेगा जिनमे जानवरों को जबरन विषैले रसायनों का सेवन करने या सूंघने के लिए मजबूर किया जाता है या फिर उनमें बीमारियाँ संक्रमित की जाती हैं और फिर दम घुटने या गर्दन अव्यवस्थित होने के चलते उन्हें मार दिया जाता है”
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PETA इंडिया, प्रगतिशील वैज्ञानिकों एवं अन्य लोगों के प्रयासों के बाद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने life science (जीवन विज्ञान) और Zoology (प्राणी शास्त्र) पाठ्यक्रमों में जानवरों पर परीक्षण करने पर प्रतिबंध लगा दिया और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) तथा फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने चिकित्सा एवं फार्मेसी के स्नातक के पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रशिक्षित करने हेतु जानवरों पर प्रयोग प्रतिबंधित कर गैर पशु प्रशिक्षण विधियों को अपनाने के निर्देश दिये हैं। वर्ष 2022 में राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद ने फार्माकोलॉजी के परास्नातक पाठ्यक्रम हेतु अपने दिशानिर्देशों में संशोधन करते हुए कई गैर पशु शिक्षण व प्रशिक्षण विधियों को अपनाने की सिफ़ारिश की तथा कुछ नियमित प्रयोगों की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया।
खोजों से पता चलता है कि प्रत्येक शैक्षिक स्तर पर बड़ी संख्या में छात्र जानवरों पर प्रयोग करने में असहज महसूस करते हैं और बहुत से छात्र अपने सिद्धांतों का उल्लंघन करने की बजाय वैज्ञानिक बनने के सपने को ही छोड़ देते हैं। इसके विपरीत कंप्यूटर आधारित आधुनिक तकनीक को आप बार-बार इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे पैसों की भी बचत होती है और यह जानवरों के जीवन को बचाने व परिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मददगार है।