PETA इंडिया एवं माननीय मेनका गांधी जी के प्रयासों के बाद भारत ने सरीसृप की खाल और पशुओं के फ़र से बनी वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया
वन्यजीवों के लिए एक अच्छी खबर आई है, भारत सरकार ने पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा भेजी गई प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है जिनका उद्देश्य उन विभिन्न जंगली पशुओं की सुरक्षा उपायों को मजबूत करना है जो ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ या ‘वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES)’ के तहत संरक्षित पशु भी शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और अनुभवी सांसद माननीय मेनका गांधी जी ने भी इन सिफारिशों का समर्थन किया है। PETA इंडिया का लक्ष्य था कि 3 जनवरी 2017 के उस प्रतिबंध को फिर से लागू कराया जाए जिसमे सरीसृप की खाल, मिंक की फरस्किन और फॉक्स के आयात पर रोक लगी थी पर 7 जनवरी 2021 को हटा लिया गया था।
PETA इंडिया की सिफारिशों ने विशेष रूप से चैप्टर 41 और 43 के तहत ITC-HS कोड को लक्षित किया :
- सरीसृपों की कच्ची और काली खालें (41032000, 41064000)
- सरीसृप की खाल से बना चमड़ा (41133000)
- मिंक और फॉक्स की कच्ची फरस्किन्स (43011000, 43016000)
- जंगली पशुओं के फर से बने परिधान और सहायक उपकरण (43031010, 43031020, 43039010, 43039020)
व्यापार नोटिस संख्या 11/2024-25, दिनांक 2 अगस्त 2024 के माध्यम से, विदेश व्यापार महानिदेशालय (Directorate General of Foreign Trade -DGFT) ने अध्याय 40 से 98 तक निर्यात नीति को तर्कपूर्ण बनाने के लिए उसमे संशोधन का प्रस्ताव रखा था। इस पर PETA इंडिया ने अपनी प्रतिक्रिया में बताया कि इसमे निर्बल एवं कमजोर प्रजातियों को दी गई महत्वपूर्ण सुरक्षा को हटा दिया गया है। दिनांक 11 अगस्त 2024 को PETA इंडिया ने डीजीएफटी को एक विस्तृत पत्र भेजकर वन्यजीवों को शोषण से बचाने के लिए निर्यात नीति में तत्काल बदलाव करने का आग्रह किया।
इस संबंध में PETA इंडिया द्वारा भेजी गई सिफारिशों को स्वीकार कर निर्यात नीति में शामिल कर लिया गया है। इसका अर्थ है कि सरीसृप की खाल – उपचारित या अनुपचारित – और मिंक और फॉक्स की कच्ची फर एवं खाल (पूरी खाल, सिर, पूंछ या पंजे के साथ या उसके बिना) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अतिरिक्त, “वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972” या “लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES)” के तहत संरक्षित पशुओं की खाल या फ़र से बने किसी भी परिधान या कपड़े के सामान को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इसके अलावा, इन ITC-HS कोड के तहत होने वाला आयात अब निम्नलिखित शर्तों के आधार पर मान्य होगा-
“आयात, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (समय-समय पर संशोधित) और CITES के नियमों के अनुसार होगा। ” हालाँकि, PETA इंडिया जंगली/विदेशी पशुओं की खाल और फ़र के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लागाने का अनुरोध करता है।
वैश्विक स्तर पर, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, स्लोवेनिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, लक्ज़मबर्ग, सर्बिया, इटली, फ्रांस, उत्तरी मैसेडोनिया, नीदरलैंड, आयरलैंड, यूके, नॉर्वे, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया और स्विट्जरलैंड ने या तो फ़र हेतु पशुओं के पालन पोषण पर प्रतिबंध लगा दिया है, या प्रतिबंध लगाने की दिशा में कदम उठाए हैं या वह फ़र के लिए पशु पालन नहीं करते।
PETA संस्थाओं के प्रयासों की बदौलत, कई प्रमुख ब्रांडों ने सरीसृपों और सांपों की खालों की बिक्री के खिलाफ नीतियां बनाई हैं। इनमें Chanel, Nike, Calvin Klein, Asos, H&M, Hugo Boss और कई अन्य ब्रांड शामिल हैं।
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PETA इंडिया द्वारा भेजी गई सिफारिशों में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वन्यजीवों की खाल, फ़र और उनसे संबंधित उत्पादों के व्यापार की अनुमति देने से अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है, इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचता है और सामुदायिक स्वास्थ के लिए खतरनाक साबित होने वाले जूनोटिक रोग फैलने का जोखिम बंता है। PETA ने इन उत्पादों की खरीद के लिए होने पशुओं पर होने वाली अत्यधिक क्रूरता पर भी जोर दिया कि इन उत्पादों के लिए क्रूर तरीकों से पशुओं की खाल उतारी जाती है और उन्हें भयावह परिस्थितियों में रखा जाता है।
ITC-HS कोड के संशोधित चैप्टर 41 और 43 अब सार्वजनिक रूप से देखें जाने के लिए उपलब्ध हैं।
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