एक ‘घायल पक्षी’ ने विशाल पतंग एवं SRN इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों के साथ मिलकर जयपुर की जनता से मकर संक्रांति से पहले पक्षियों की रक्षा करने की अपील की
PETA इंडिया और आश्रय फाउंडेशन का एक समर्थक खून से सने और “कांच-लेपित मांझे” में फंसे पक्षी की पोशाक पहनकर एक विशाल पतंग,जिस पर लिखा था “काँच लेपित माँझा पक्षियों के पंख काट देता है” और “जानलेवा मांझे का इस्तेमाल न करें” के संदेश के साथ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के माध्यम से जनता से की गई इस अपील में SRN इंटरनेशनल स्कूल के छात्र भी शामिल हुए। इस कार्रवाई का उद्देश्य जनता के बीच यह जागरूकता फैलाना थाकि हर तरह का कांच लेपित तीखा एवं नायलॉन मांझा पक्षियों और इंसानों के लिए ख़तरनाक है। इस प्रकार के तीखे मांझे के इस्तेमाल से हर साल बहुत से पशु एवं इंसान चोटिल होते हैं और अपनी जान गँवाते हैं, इसलिए सभी की सुरक्षा के मद्देनजर, पतंगबाज़ी में केवल सादी सूती डोर का इस्तेमाल करना चाहिए।
मांझे के सभी प्रकार मनुष्यों, अन्य पशुओं और पर्यावरण को खतरे में डालते हैं। कांच से लेपित तेज़ धार वाले नायलॉन मांझे का कई लुप्तप्राय प्रजातियों और पक्षियों की आबादी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। हर साल हजारों पक्षी इनमें फंसकर चोटिल हो जाते हैं और खून की कमी के अपने प्राण गवां देते हैं। साथ ही साथ कई पक्षी पेड़ों या इमारतों पर फंसे मांझे में उलझ जाते हैं और आसानी से दिखाई न देने के कारण इन्हें समय से किसी प्रकार की पशुचिकित्सकीय मदद नहीं मिल जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप वह दर्दनाक मौत का शिकार होते हैं।
मांझे के कारण हर साल कई इंसानों को भी अपनी जान गंवानी पड़ती है। पिछले साल भी, देशभर में मांझे के कारण कई मौते हुई हैं, जिनमें महाराष्ट्र में एक 21 वर्षीय व्यक्ति, गुजरात में एक 4 साल के बच्चे सहित चार लोग, मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति और राजस्थान का एक 12 वर्षीय बच्चा भी शामिल है जिसका गला पूरी तरह से कट गया था। अगर मांझे का त्याग नहीं किया गया तो इस प्रकार की घटनाएं आगे भी होती रहेंगी।
मनुष्यों और पशुओं के लिए जानलेवा होने के साथ-साथ मांझा पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। कांच लेपित तेज़ धार वाले नायलॉन मांझे का उपयोग प्रदूषण को और बढ़ाता है, क्योंकि यह डोर सालों तक हमारे एकोसिस्टम में फंसी रहती हैं। इसके अलावा, ये बिजली की तारों में उलझने से यह बिजली कटने का भी कारण बनते हैं, जिससे केवल एक बार में 10,000 लोग प्रभावित हो सकते हैं।
वर्ष 2024 में, PETA इंडिया की अपील के बाद, केंद्र सरकार की वैधानिक संस्था, ‘भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड’ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस प्रकार के धारदार मांझे पर प्रतिबंध लगाने और पतंग उड़ाने के लिए केवल सादे सूती धागे के उपयोग की अनुमति देने की सलाह दी। चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और त्रिपुरा सरकारों ने समान निर्देशों के साथ अधिसूचनाएं जारी की हैं।
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