झुंझुनू पुलिस ने कुत्ते के बच्चे के हाथ-पैर तोड़ने के मामले में FIR दर्ज की; PETA इंडिया ने अभियुक्त की गिरफ्तारी में मदद करने वाली सूचना देने वाले को 50,000 रुपये तक का इनाम देने की घोषणा की

Posted on by Erika Goyal

यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS)- पिलानी के परिसर में एक 3 महीने के कुत्ते के बच्चे को दिल दहला देने वाली क्रूरता का सामना करना पड़ा, PETA इंडिया ने समीर सिद्दीकी नामक एक स्थानीय कार्यकर्ता के साथ मिलकर पिलानी पुलिस स्टेशन में अज्ञात अपराधियों के खिलाफ़ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराई। इतनी गहन क्रूरता सहने के बाद, इस बच्चे के ज़्यादातर शारीरिक अंग बुरी तरह से टूट गए हैं, इसे कई गंभीर चोटे आई हैं और कथित तौर पर इसे डुबाने का भी प्रयास किया गया था। यह FIR भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 34 और 429 एवं पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 11(1) के तहत दर्ज़ करी गयी है। PETA इंडिया द्वारा संबंधित अपराधियों को पकड़ने एवं सज़ा दिलाने में सहायक जानकारी देने वाले को 50,000 रुपये तक का इनाम देने की घोषणा की गयी है।

संबंधित अपराधी के बारे में जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति PETA इंडिया की पशु आपातकालीन हेल्पलाइन 9820122602 या [email protected] पर संपर्क कर सकता है। अनुरोध करने पर सूचना देनेवाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

समीर सिद्दीकी ने PETA इंडिया को घटना की पूरी जानकारी देते हुए बताया कि जब उनके द्वारा BITS पिलानी के प्रबंधन से मामले के खिलाफ़ कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया तो प्रबंधन ने उनके अनुरोध को पूरी तरह से नजर-अंदाज कर दिया। इसके उपरांत, जब समीर द्वारा स्वयं कार्यवाही करते हुई PETA इंडिया की सहायता से इस मामले में पुलिस शिकायत दर्ज़ कराई गयी तो उनके और उनके परिवार के परिसर में प्रवेश करने पर ही रोक लगा दी जबकि परिसर के सभी सामुदायिक पशुओं का ध्यान केवल उनके द्वारा ही रखा जाता है।

राजस्थान जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा इस मामले से संबंधित शिकायत के आधार पर ‘पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023’ के नियम 20 (2) के तहत निर्देश जारी करते हुए एक पशु कल्याण समिति का गठन किया गया जिसका उद्देश्य सामुदायिक पशुओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और सामुदायिक कुत्तों की देखभाल करने वाले लोगों को संस्थान के परिसर में प्रवेश करने से रोकने के मुद्दे को हल करना है।

PETA इंडिया द्वारा संस्थान प्रबंधन को एक पत्र लिखकर उनसे घटना के संबंध में आंतरिक जांच करने, पुलिस जांच में सहयोग करने और संस्था में सामुदायिक कुत्तों की प्राथमिक देखभाल करने वाले एक मात्र व्यक्ति समीर सिद्दीकी और उनके परिवार को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति देने का आह्वान किया है। लेकिन अफसोस की बात है कि PETA इंडिया को अब तक इस पत्र पर संस्थान की ओर से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है।

PETA इंडिया की इमरजेंसी रिस्पांस कोऑर्डिनटोर सिंचना सुब्रमण्यन ने कहा, “जो लोग पशुओं के प्रति क्रूरता करते हैं वे अक्सर मनुष्यों को भी नुकसान पहुँचाते हैं इसलिए सभी की सुरक्षा हेतु ज़रूरी हैं कि जनता पशुओं के प्रति क्रूरता के मामलों की रिपोर्ट दर्ज़ कराए। हम FIR दर्ज़ करने के लिए निर्देश देने हेतु पुलिस अधीक्षक राजर्षि राज वर्मा, IPS, की सराहना करते हैं जिससे जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि पशुओं के प्रति किसी प्रकार की क्रूरता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।“

PETA इंडिया पशु क्रूरता के अपराधियों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि पशुओं के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग पशुओं के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वह अक्सर आगे चलकर अन्य पशुओं व मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल  में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि “जो लोग पशु क्रूरता में शामिल होते हैं, उनके अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, जिसमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।”

PETA इंडिया देश के ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’, 1960 को मजबूत करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे हैं। यह कानून और इसके दंड प्रावधान बहुत पुराने और अप्रासंगिक है, जैसे इसके अंतर्गत पहली बार पशुओं पर अपराध का दोषी पाये जाने पर महज़ 50 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है, जबकि ऐसे अपराधियों के लिए भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत सख्त प्रावधानों का निर्धारण किया गया है। PETA इंडिया ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर PCA अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशु क्रूरता के खिलाफ़ कठोर दंड प्रावधानों की सिफारिश की है।

पशु शोषणकारियों के खिलाफ़ मजबूत दंड प्रावधानों की मांग करें