“लैक्मे फैशन वीक” सस्टेनेबल फैशन डे के दौरान, कानपुर की कंपनी “फ्लावरसाइक्लिंग” ने PETA इंडिया का पुरुस्कार जीता
“लैक्मे फैशन वीक” सस्टेनेबल फैशन डे के अवसर पर, कानपुर की कंपनी “फ्लावरसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड” को PETA इंडिया का “बेस्ट इनोवेशन इन वेजन फैशन” अवार्ड दिया गया। यह कंपनी अपने प्रोडक्टस हेतु मंदिरों में चडाए गए फूलों के पुनः इस्तेमाल से तैयार “फलोलेदर” (बायोडिग्रेडेबल पशु-मुक्त चमड़े) का इस्तेमाल करती है । इस अवसर पर PETA इंडिया के सेलिब्रिटी और पब्लिक रिलेशन डायरेक्टर, सचिन बंगेरा ने कंपनी के संस्थापक, अंकित अग्रवाल को पुरस्कार प्रदान किया व इसके उपरांत बॉलीवुड के अभिनेत्री सनी लिओनी पर फिल्माए गए नए विज्ञापन के अनावरण के साथ प्रो-वीगन फैशन अभियान शुरू किया गया। सनी लिओनी अभिनीत नया विज्ञापन जानवरों के चमड़े की क्रूरता को उजागर करता है।
भारत में चमड़े के लिए इस्तेमाल होने वाले जानवरों को अक्सर इतनी अधिक तादात में वाहनों में भरकर परिवहन किया जाता है कि कत्लखानों तक पहुँचने के दौरान उनकी हड्डियां टूट जाती हैं। बूचड़खाने में इन जानवरों को एक दूसरे के सामने खुले माहौल में तेज़ धारदार हथियार से गला रेंत कर काट दिया जाता है। वह अभी पूरी तरह से मरी नहीं होती व सचेत अवस्था में होने के बावजूद उनके शरीर से उनकी खाल नोच ली जाती है। चमड़ा उद्योग में खाल को सड़ने से बचाने के लिए, टेनरियों में कई प्रकार के कास्टिक, जहरीले रसायनों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें अक्सर सीधे जलमार्ग में बहा दिया जाता है। चमड़ा निर्माण प्रक्रिया में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले रसायनों में से एक क्रोमियम है, जो इसके संपर्क में आने वाले श्रमिकों में कैंसर का कारण बन सकता है। चमड़े के उत्पादन से निकलने वाले कचरे से त्वचा और श्वसन संबंधी बीमारियां भी होती हैं, जो चमड़ा केन्द्रों के आस-पास काम करने और रहने वाले लोगों में होते हैं।
वीगन चमड़ा व लैदर के अन्य विकल्पों (जो पशुओं की खाल से नहीं बनते) से बने उत्पाद जैसे जूते, कपड़े इत्यादि देश के लगभग सभी बाज़ारों में आसानी से मिल जाते हैं। उन कंपनियों की सूची देखें जो PETA इंडिया द्वारा “PETA स्वीकृत वीगन उत्पाद” लोगो के तहत वीगन उत्पाद बनाती हैं।