नई रिपोर्ट: PETA इंडिया ने खुलासा किया कि कोलकाता के विक्टोरिया में सवारी हेतु इस्तेमाल घोड़े भुखमरी, सड़क हादसों के कारण फ्रैक्चर, रेबीज की आशंका एवं अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं
PETA इंडिया ने इस सप्ताह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, गृह विभाग के अधिकारियों और पश्चिम बंगाल सरकार के पशु संसाधन विकास विभाग के साथ-साथ कोलकाता नगर निगम और कोलकाता पुलिस आयुक्त को एक नई मूल्यांकन रिपोर्ट भेजी है, जो यहां डाउनलोड के लिए उपलब्ध है। इस रिपोर्ट में, नवंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच कोलकाता के घोड़ागाड़ी उद्योग में इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों की विकट परिस्थितियों का वर्णन किया गया है। नई रिपोर्ट यह साबित करती है कि पिछले वर्ष हुई जांच के बावजूद कमज़ोर एवं घायल घोड़ों को काम करने के लिए मजबूर करने जैसी क्रूर प्रथाएं जारी हैं और घोड़ों को कारों और अन्य वाहनों से टकराने के कारण गंभीर चोटें लगती हैं जो अक्सर उनकी धीमी और दर्दनाक मौत का कारण बनती है।
PETA इंडिया की नई रिपोर्ट में विक्टोरिया मेमोरियल के पास और हेस्टिंग्स में फ्लाईओवर के नीचे पाए गए 20 घोड़ों का आकलन किया गया है। इस जांच में, ऐसे घोड़ों का निरीक्षण किया गया जिनकी एक या अनेक हड्डियाँ टूटी हुई हैं, सड़क पर गिरने वाले घोड़े, ऐसे घोड़े जिनके गंभीर घाव खुले हुए हैं, आंशिक रूप से अंधेपन का शिकार एवं संदिग्ध रेबीज से मरने वाले। अधिकांश घोड़ों को गंभीर रूप से कमज़ोर और कुपोषित पाया गया जो यह साबित करता है कि कोलकाता के अधिकांश घोड़े लंबे समय से भूखे हैं और उन्हें नियमित रूप से बुनियादी पोषण से वंचित रखा गया है। यह रिपोर्ट बताती है कि घोड़ों को पशु चिकित्सकीय सेवाओं से भी वंचित रखा जाता है। शहर के चारों ओर बिखरे जानवरों का मल मनुष्यों के लिए टेटनस एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी पैदा करता है।
PETA इंडिया इंगित करता है कि गाड़ी की सवारी के लिए घायल और कुपोषित घोड़ों का उपयोग करना “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” का उल्लंघन है। घोड़े के मल के संग्रह और निपटान के लिए एक प्रणाली की कमी कलकत्ता उच्च न्यायालय की स्पष्ट अवमानना है। 22 जनवरी 2013 के एक आदेश के माध्यम से, अदालत ने निर्देश दिया था कि “घोड़ों द्वारा उत्सर्जित गोबर को हटाने के लिए प्रत्येक हैकनी गाड़ी के मालिकों द्वारा उपाय किए जाएं”।
PETA इंडिया के कोलकाता के क्रूर बैलगाड़ी उद्योग को बंद करने के प्रयासों में कलकत्ता उच्च न्यायालय में पर्यटकों की सवारी और विवाह समारोहों के लिए घोड़ों के उपयोग पर रोक लगाने के लिए एक जनहित याचिका दायर करना; दुर्बल, घायल, या लंगड़े जानवरों को काम करने के लिए मजबूर करने के लिए घोड़ा मालिकों के खिलाफ़ FIR दर्ज़ कराने में कोलकाता पुलिस की सहायता करना, और घोड़ों से संबन्धित नीति निर्धारण हेतु पश्चिम बंगाल सरकार को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करना शामिल है। PETA इंडिया और CAPE फाउंडेशन नामक स्थानीय समूह की शिकायतों के बाद, घोड़ा मालिकों के खिलाफ तीन FIR दर्ज की गई हैं।
आप भी इन घोड़ों की मदद कर सकते हैं!