आमेर के किले पर एक और हाथी हमले की घटना सामने आने के बाद PETA इंडिया ने फिर से हाथी सवारी को प्रतिबंधित की मांग दोहराई
हाल ही में गौरी नामक हाथी के हमले का शिकार हुए एक स्थानीय दुकानदार की पसलियों में फ्रेक्चर सहित गंभीर चोटों का मामला सामने आने के बाद, PETA इंडिया ने 4 नवंबर को मुख्य सचिव श्रीमति उषा शर्मा के साथ एक आपातकालीन बैठक करके राज्य में हाथीसवारी की जगह पर्यावरण के अनुकूल इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल करने और सभी हाथियों को पुनर्वास केंद्रों में भेजने का अनुरोध किया जहां वे बिना जंजीर के और अन्य हाथियों की संगति में बेहतर जीवन गुजार सकें। हालिया घटना उस समय घाटी जब गौरी को आमेर किले में ले जाया जा रहा था। स्थानीय लोगों ने बताया कि उसका मनुष्यों के प्रति हिंसा का इतिहास रहा है। एक फैक्टशीट के माध्यम से, PETA इंडिया बता रहा है कि आमेर के किले पर इस तरह की घटनाएँ निरंतर रूप से होती आ रही हैं जिसमे पर्यटकों को तो नुकसान पहुंचाया ही है साथ ही साथ इस तरह के हमलो में इन्सानों की मौते भी हुई हैं।
PETA इंडिया द्वारा मुख्य सचिव को सौंपे गए पत्र में बताया गया है कि राजस्थान में तकरीबन 100 हाथियों को बंदी बनाया गया है और वैध स्वामित्व प्रमाण पत्र तथा भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की अनुमति के बिना इनमे से अधिकांश से पर्यटक सवारी कराई जाती है या फिर उन्हें शादियों और फिल्मों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब ये हाथी इंसानों पर हमला करते हैं, तो आम तौर पर पिटाई की जाती है या फिर अन्य कठोर दंड जैसी यातनाएं दी जाती हैं जो जानवरों को मानसिक रूप से और अधिक निराश और परेशान करता है। इसके अलावा, हाथी TB से पीड़ित होने पर इसका संक्रमण मनुष्यों में हस्तांतरित कर सकते हैं। PETA इंडिया ने पहले भी इस बात पर ज़ोर दिया है कि जिन हाथियों में TB के सकारात्मक लक्षण पाये गए हैं उनसे अभी भी हाथी सवारी करवाई जा रही है।
PETA इंडिया ने संज्ञान लिया है कि राजस्थान में चल रही हाथी सवारी “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972” सहित कई क़ानूनों का उलंघन करती है जैसे, “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960”, “प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) नियम 2001”, राजस्थान सरकार का 2010 का सर्कुलर जिसमे प्रदर्शन करने हेतु हाथियों के इस्तेमाल के लिए उनका पंजीकरण अनिवार्य’ है।
क्रूर हाथीसवारी बंद करवाने में हमारी मदद करें