लखनऊ : PETA इंडिया की शिकायत पर लखनऊ के नक्खास बाज़ार में छापेमारी कर 1200 से अधिक तोते, मुनिया व सिल्वरबिल एवं विदेशी पक्षियों को बचाया गया

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए, दिनांक 1 अक्टूबर 2023 को  लखनऊ पुलिस ने नक्खास बाज़ार में छापेमारी कर 1200 से अधिक तोतों, मुनिया एवं चिड़ियाँ को बचाया गया। नक्खास बाज़ार में पक्षियों की खरीद फरोख्त के अवैध कारोबार की सूचना मिलने के बाद हमने लखनऊ पश्चिम के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा जी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। श्री सिन्हा जी ने तुरंत एक पुलिस दल गठित कर दो संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी कर बड़ी तादात में कैद इन पक्षियों को बचाया। इन पक्षियों को छोटे व तंग पिंजरों में कैद करके रखा गया था जिसमे से 8 पक्षी मृत पाये गए, जाहिर है कि उनकी मौत भीड़ और दम घुटने के कारण हुई थी। कोतवाली पुलिस स्टेशन द्वारा आराधियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (2022 में संशोधित), पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 तथा भारतीय दंड संहिता 1860 की विभिन्न प्रासंगिक धाराओं के तहत FIR दर्ज की गयी है। पाँच आरोपियों में से 2 की गिरफ्तारी हो चुकी है जबकि तीन अन्य फरार हैं। पुलिस इन भगोड़ों की तलाश कर रही है।

बचाव कर लाये गए समस्त पक्षी लखनऊ वन प्रभाग की हिरासत में हैं और उम्मीद है कि उनकी पशुचिकित्सीय जांच के बाद और अदालत की अनुमति मिलने पर उन्हें वापिस उनके प्रकर्तिक आवास यानि खुले आसमान में छोड़ दिया जाएगा।

प्रकृति में, पक्षी सामाजिक गतिविधियों में मशगूल रहते हैं जैसे रेत में स्नान करना, लुका छुपी खेलना, नृत्य करना, अपने साथी दोस्तों के साथ मिलकर घोंसले बनाना और अपने बच्चों का पालन पोषण करना। लेकिन जब उन्हें इस तरह से पिंजरों में कैद कर दिया जाता है तो ये जीवंत उदास और अकेले पड़ जाते हैं। हताशा और निराशा से वे अक्सर अपने आप को नोचने लगते और अपने अंग काट लेते हैं। बहुत से पक्षियों के पंख कुतर दिये जाते हैं ताकि वह उड़ ना जाए जबकि उड़ना पक्षियों के लिए उतना ही स्वाभाविक है जितना इन्सानों के लिए चलना फिरना।

 

 

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‘वन्य जीव संरक्षण कानून’ स्वदेशी प्रजाति के पक्षियों को पकड़ने, उन्हें पिंजरों में कैद करने और उनके व्यापार पर प्रतिबंध लगता है और इसका पालन ना करने पर कारावास की सज़ा, व जुर्माना अथवा दोनों होने का भी प्रावधान है। इसके अलावा पक्षियों को पिंजरों में बंद करना पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 का भी उलंघन है जो यह निर्धारित करता है कि किसी भी जानवर को किसी भी ऐसे पिंजरे में कैद करना गैर कानूनी है जहां उसे हिलने डुलने तक की पर्याप्त जगह ना हो, इसमे आसमान में उड़ने वाले पक्षियों के लिए उड़ान भी शामिल है।

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