लखनऊ पुलिस एवं PETA इंडिया ने घोडा मालिकों से जब्त की गयी उन 70 गैरकानूनी काँटेदार लगाम का प्रदर्शन किया जिनका इस्तेमाल घोड़ों को नियंत्रित करने हेतु किया जाता है
लखनऊ पुलिस ने PETA इंडिया के सहयोग से घुड़सवारी, शादी विवाह समारोह एवं काम में इस्तेमाल होने वाले घोड़ों को नियंत्रित करने के लिए पहनाई जाने वाली गैरकानूनी काँटेदार लगाम को जब्त करने के लिए शहर भर में पुलिस अभियान चलाया। यह काँटेदार लगाम “पशु क्रूरता निवारण ड्राफ्ट एवं पैक नियम, 1965” के नियम 8 के तहत प्रतिबंधित है। पुलिस दल ने 100 से अधिक घोड़ों को चेक कर काँटेदार लगाम के बदले मालिकों को घोड़ों के लिए मुंह की मुलायम लगाम प्रदान की। सामान्य जनता को इस लगाम के गैरकानूनी होने के बारे में जागरूक करने हेतु, PETA इंडिया एवं लखनऊ पुलिस, जब्त की गयी इन काँटेदार लगामों को हजरतगंज पुलिस स्टेशन में प्रदर्शित किया। इसके साथ ही साथ, तांगा मालिकों एवं चालकों के लिए एक जागरूकता कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा ताकि वह इन क्रूर अभ्यासों को ना करें व पशु आधारित व्यवसाय की जगह गैर पशु आधारित व्यवसाय को चुने जैसे कि ई-रिक्शा।
सेंट्रल लखनऊ के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त श्री चिरंजीव नाथ सिन्हा कहते हैं- “पशु संरक्षण कानून लागू करने के मामले में लखनऊ पुलिस का रुख सख्त और स्पष्ट है: किसी भी जानवर के साथ दुर्व्यवहार करने या उन्हें अनावश्यक दर्द या पीड़ा देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस लगाम के विषय में शहर में जागरूकता बढ़ाने, कानून व्यवस्था लागू करने में पुलिस की मदद करने और काँटेदार लगाम के बदले मालिकों को मुलायम लगाम प्रदान करवाने के लिए मैं PETA इंडिया के काम की सराहना करता हूँ।“
“पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 38 (3) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो काँटेदार लगाम का उपयोग करके 1965 के नियमों का उल्लंघन करता है, सजा का हकदार होगा, जिसमें कारावास की सजा भी शामिल हो सकती है। वर्ष 2014 में, भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड ने एक परामर्श जारी कर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से काँटेदार लगाम के निर्माण, व्यापार, कब्जे और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया था। PETA इंडिया की शिकायतों के बाद 2018 और 2019 में दिल्ली पुलिस द्वारा और 2020 में हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा इसी तरह के पुलिस अभियान चलाए गए थे। PETA इंडिया ने अनुरोध किया है कि केंद्र सरकार काँटेदार लगाम के निर्माण, कब्जे और बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून लागू करें।
वर्ष 2018 में, PETA इंडिया ने दिल्ली में काम करने वाले बैल और घोड़ा गाड़ियों के बदले मालिकों को बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा प्रदान करने वाली एक परियोजना प्रारम्भ की है। इस योजना से लाभ उठा चुके परिवारों ने बताया कि ई-रिक्शा का उपयोग करने से उनकी आय में शानदार तरीके से वृद्धि हुई है और उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। बेट्री रिक्शा होने से घोड़ा एवं बैलगाड़ी मालिकों को जानवरों के स्वास्थ खराब होने या संक्रामक जूनोटिक रोगों के कारण आजीविका चलाने में होने वाले व्यवधान का सामना भी नहीं करना पड़ता जैसे जब कामगार जानवर बीमार हो जाते हैं या फिर जब कुछ खास यातायात नियमों के चलते बहुत से व्यावसायिक क्षेत्रों में पशु गाड़ी की आवाजाही प्रतिबंधित हो जाने पर समस्या होती है।
घोड़ों पर प्रयोग की जाने वाली काँटेदार लगाम पर रोक लगवाने में हमारी सहायता करें