PETA इंडिया द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री जी से महात्मा गांधी के सम्मान में मटन स्ट्रीट का नाम ‘अहिंसा मार्ग’ करने का अनुरोध किया गया
गांधी जयंती के उपलक्ष्य पर, PETA इंडिया द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ संभाजी शिंदे को एक पत्र भेजकर अनुरोध किया कि वह महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए मुंबई की मटन स्ट्रीट का नाम बदलकर “अहिंसा मार्ग” कर दें। गांधी जयंती (2 अक्टूबर) को विश्व स्तर पर ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मान्यता प्राप्त है। PETA इंडिया ने अपने पत्र में बताया कि इस सड़क का नामकरण अंग्रेजों के समय किया गया था और इसे मांस उद्योग से जोड़कर देखा जाता है जो कि गांधी जी के अहिंसा और शाकाहारी भोजनशैली के मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है।
PETA इंडिया द्वारा इस पत्र में उल्लेखित किया गया, “इस इलाके का नाम बदलकर हम यहाँ चोरी का सामान लाने पर रोक लगा सकते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस बाज़ार में ऐसी वस्तुओं को बेंचा जाता है और इसलिए इसे आम बोलचाल की भाषा में चोर बाज़ार भी कहा जाता है। ऐसा करके हम यहाँ वीगन व्यंजन विक्रेताओं और अन्य उद्योगों को आकर्षित कर सकते हैं जिससे यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक और आम जनता आना पसंद करेंगी।“
इस पत्र में गांधी जी के एक विचार को इस प्रकार उल्लेखित किया गया, “मेरे विचार से एक मेमने का जीवन किसी इंसान से कम कीमती नहीं है। …मेरा मानना है कि प्राणी जितना अधिक असहाय होगा, वह मनुष्य की क्रूरता से सुरक्षा का उतना ही अधिक हकदार होगा।”
मांस उद्योग में भारी संख्या में पशुओं को बड़े-बड़े पशुपालन केंद्रों में गंभीर कैद में रखकर पाला जाता है। जैसा कि PETA इंडिया ने अपने “Glass Walls” नामक वीडियो में खुलासा किया है कि भोजन के लिए मारी जाने वाली मुर्गियों को उल्टा लटकाया जाता है और उनके गले चीर दिए जाते हैं। गायों और भैंसों को इतनी अधिक संख्या में गाड़ियों में ठूस-ठूसकर बूचड़खानों में भेजा जाता है कि परिवहन के दौरान और बूचड़खानों तक पहुँचने से पहले रास्ते में ही उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं। भोजन के लिए मारे जाने वाले सूअरों के दिल में छुरा घोंप दिया जाता है। मछलियों को समुद्र से निकालकर नौकाओं के डेक पर फेंक दिया जाता है, जहाँ पानी के अभाव में वे घुट-घुटकर मर जाती हैं।
पेड़-पौधों से मिलने वाला भोजन कैंसर, मधुमेह, मोटापा एवं हृदय रोग से पीड़ित होने के जोखिम को कम करने में सहायक है व साथ ही साथ ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाकर जलवायु संकट से लड़ने में मदद करता है; और यहां तक कि भविष्य की महामारी को रोकने में भी सहायक हो सकता है। SARS, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू और संभवतः COVID-19 सभी जानवरों को खाना बनाने के लिए बंद करने और मारने से जुड़े हुए हैं।