PETA इंडिया की शिकायत के बाद, मंदसौर वन प्रभाग ने एक खरगोश का शिकार करने के लिए तीन अपराधियों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया

Posted on by Shreya Manocha

PETA इंडिया को बाड़मेर जिले के आम आदमी पार्टी सचिव दीपक बिश्नोई के माध्यम से एक खरगोश के अवैध शिकार के संबंध में रिपोर्ट प्राप्त हुई थी जो कि वनजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 की अनुसूची II के तहत एक संरक्षित प्रजाति है। इसके बाद, PETA इंडिया द्वारा कथित अपराधियों के खिलाफ प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (POR) दर्ज कराने के लिए मध्य प्रदेश वन विभाग के मंदसौर वन प्रभाग के साथ मिलकर कार्य किया। इस मामले में कथित आरोपियों में से एक, गोविंद सिंह ने अपने इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल पर एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें शिकार किए गए खरगोश को बाइक पर उल्टा ले जाया जा रहा था। इस बाइक पर दो अन्य लोग भी सवार थे जिनमें से एक के हाथ में बन्दूक दिखाई दे रही थी। एक अन्य वीडियो में इनमें से एक आरोपी खरगोश की खाल उतारता नजर आ रहा था।

यह POR गोविंद सिंह एवं दो अज्ञात संदिग्धों के खिलाफ WPA, 1972 की धारा 2 और 9 के तहत दर्ज करी गयी है। यह उल्लेखीय है कि खरगोश एक संरक्षित प्रजाति का पशु है और इसके अवैध शिकार के खिलाफ़ 1 लाख रुपये तक के जुर्माने या तीन साल तक की जेल की सजा या दोनों का प्रावधान है। वर्तमान में, गोविंद सिंह फरार है एवं  वन विभाग द्वारा उसकी तथा अन्य अपराधियों की तलाश जारी है। PETA इंडिया द्वारा वन विभाग से इस मामले में दर्ज़ करी गयी FIR में शस्त्र अधिनियम, 1959; भारतीय न्याय संहिता, 2023 एवं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के सभी प्रासंगिक प्रावधानों को जोड़ने का आग्रह किया गया है।

PETA इंडिया पशुओं पर क्रूरता करने वाले अपराधियों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि पशुओं के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग पशुओं पर क्रूरता करते हैं, वह अक्सर आगे चलकर अन्य पशुओं व मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल  में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि “जो लोग पशु क्रूरता में शामिल होते हैं, उनके अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, जिसमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।”

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