PETA इंडिया द्वारा तप्ति गर्मी में बिलबोर्ड लगवाकर जनता को मांस और गर्मी के बीच संबंध से अवगत कराया गया और वीगन जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया

Posted on by Shreya Manocha

ऐसे समय पर जब देशभर में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का प्रकोप जारी है, जिससे सूखे और जंगल में आग लगने की समस्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है और वर्ष 2024 के अब तक का सबसे गर्म वर्ष होने की पूर्ण संभावना है, PETA इंडिया ने अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, लखनऊ और नागपुर में अपने बिलबोर्ड अभियान के माध्यम से लोगों का ध्यान माँस के लिए होने वाले पशुपालन के कारण वैश्विक जलवायु आपदा की समस्या की ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है। लखनऊ शहर में भी तापमान 45 डिग्री से ज्यादा हो गया है।

 

‘संयुक्त राष्ट्र’ के अनुसार, पशु कृषि मानव-प्रेरित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग पांचवें हिस्से के लिए जिम्मेदार है और भोजन के लिए पशुओं को पालना “लोकल से ग्लोबल तक सभी प्रकार की पर्यावरणीय समस्याओं के लिए जिम्मेदार कारणों की सूची में शीर्ष दूसरे या तीसरे स्तर पर आता है”। दही और पनीर सहित मांस और डेयरी का उत्पादन, सभी खाद्य-संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 60% के लिए जिम्मेदार है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, वीगन जीवनशैली अपनाना ग्रह को बचाने के सबसे प्रभावशाली तरीको में से एक है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार,  वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति अपने कार्बन फुटप्रिंट को 73% तक कम कर सकता हैं एवं वैश्विक स्तर पर वीगन जीवनशैली अपनाकर वर्ष 2050 तक 8 मिलियन लोगों की जान बचाई जा सकती है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को दो-तिहाई तक कम किया जा सकता है।

वीगन जीवनशैली अपनाकर पशुओं को अत्यधिक दर्द एवं पीड़ा से बचाया जा सकता है जिसमें डेयरी उद्योग हेतु प्रयोग होने वाले पशु शामिल हैं। इस क्रूर उद्योग में, बछड़ों को उनकी प्यारी माताओं से छीनकर अलग कर दिया जाता है ताकि इनके दूध को चुराकर इंसानों को बेचा जा सके और इस प्रकार की क्रूरता भारत में भी बहुत आम है। वैश्विक स्तर पर, डेयरी उद्योग के अंतर्गत हर साल अनुमानतः 92.2 बिलियन पशुओं को मौत के घाट उतारा जाता है एवं इनमें से ज़्यादातर पशुओं को छोटे-छोटे पिंजरों में कैद रखा जाता है। अंडों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुर्गियों को इतने छोटे पिंजरों में रखा जाता है कि वे अपना एक पंख तक नहीं फैला सकतीं, नर सूअरों को दर्द निवारक दवाओं के बिना बधिया कर दिया जाता है, और मछलियों को पानी से बाहर निकालकर कुचल दिया जाता है, इनका दम घोंट दिया जाता है, या सचेत अवस्था में ही इनके गले को चीर दिया जाता है।

वीगन जीवनशैली अपनाकर इस ग्रह के संरक्षण में अपना योगदान दें !