विश्व वीगन माह में जलपरी ने मछलियों के प्रति अपना प्यार दिखाया

Posted on by Erika Goyal

विश्व वीगन माह के दौरान, PETA इंडिया की एक सदस्या ने कोच्चि में जलपरी के रूप में राहगीरों से मछलियों के प्रति उदार रवैया रखने और वीगन बनने का आग्रह किया।

 

वैज्ञानिक अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि समुद्री जीवविज्ञानी वर्षों से कहते रहे हैं: मछलियाँ मासूम होती है जो दर्द महसूस कर सक्कटी है, ज्ञान साझा करती हैं, और लंबी यादें और सांस्कृतिक परंपराएँ रखती हैं। कुछ मछलियाँ समुद्र तल पर रेत में जटिल कला की आकर्तियाँ बनाती हैं। फिर भी हर साल भोजन के लिए अन्य सभी जानवरों की तुलना में मछलियाँ सबसे अधिक संख्या में मारी जाती हैं। उनके गले में कांटा फसा कर उन्हें समुद्र से बाहर खींच लिया जाता है, नौकाओं पर बिना पानी वाली जगह पर फेंक दिया जाता है, पानी के बिना उनका दम घुटता है उनके कंठ फूल जाते हैं, जिंदा रहते उनके शरीर काट दिये जाते हैं।

हर साल, मछली पकड़ने का उद्योग बड़ी संख्या में “गैर-लक्षित” जानवरों को मारता है, जिसमें 100 मिलियन शार्क और रेस, 720,000 समुद्री पक्षी, 345,000 सील और समुद्री शेर, और 300,000 व्हेल और डॉल्फ़िन शामिल हैं।

Nature नामक एक पत्रिका द्वारा किए गए शोध के अनुसार, अगर पूरा विश्व मुख्यतः पेड़-पौधों पर आधारित भोजनशैली अपना लें तो भोजन तंत्र से होने वाले ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन को आधा किया जा सकता है। वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति अपने कार्बन फुटप्रिंट को 73% तक कम कर सकता हैं और हर वर्ष 200 जानवरों की जान बचा सकता हैं।

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