PETA इंडिया की कार्रवाई के बाद मुजफ्फरनगर पुलिस ने बछड़े की टांग तोड़ने वाले व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज की

Posted on by Shreya Manocha

यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि किसी व्यक्ति द्वारा एक बछड़े के दो टांगे तोड़ दी गयी हैं, PETA इंडिया ने इस घटना की सूचना प्रदान करने वाले एक दयालु नागरिक और मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य किया एवं मामले में FIR दर्ज़ कराई गयी। संबंधित मामले में, मंसूरपुर पुलिस स्टेशन द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 429 और पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 3 और धारा 11 के तहत FIR दर्ज की गई है। PETA इंडिया अब पुलिस से इस जघन्य अपराध के लिए उत्तर प्रदेश गोहत्या निवारण अधिनियम, 1955 की संबंधित धाराओं को FIR में जोड़ने का आग्रह कर रहा है। बछड़े को आगे की पशु चिकित्सा देखभाल के लिए स्थानीय गौशाला में ले जाया गया है, लेकिन उसकी हालत बेहद खराब है।

PETA इंडिया इस अभियुक्त की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि जानवरों के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग जानवरों के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वह आगे चलकर जानवरों या मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, केरल में अमीरुल इस्लाम को विधि की एक छात्रा जीशा का बलात्कार कर उसकी हत्या करने के लिए मौत की सजा सुनाए गयी जबकि उससे पहले वह कुत्तों और बकरियों का बलात्कार कर उन्हें मार चुका था। घरेलू हिंसा पीड़ितों पर Journal of Emotional Abuse द्वारा किए गए एक अध्ययन में 71% महिलाओं ने माना कि उनके अत्याचारी पार्टनरों ने उनके कुत्तों या अन्य जानवरों को भी नुकसान पहुंचाया या मार दिया।

PETA इंडिया इस सिद्धान्त के तहत कार्य करता है कि, “जानवर किसी तरह का दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं”। हम देश के ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’, 1960 को मजबूत करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहा है। यह कानून और इसके दंड प्रावधान बहुत पुराने और अप्रासंगिक है, जैसे इसके अंतर्गत पहली बार जानवरों पर अपराध का दोषी पाये जाने पर महज़ 50 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। PETA इंडिया ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर PCA अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशु क्रूरता  खिलाफ़ कठोर दंड प्रावधानों की सिफारिश करी है।

पशु शोषणकारियों के खिलाफ़ मज़बूत दंड प्रावधानों की मांग करें