PETA इंडिया की अपील के बाद नागालैंड सरकार ने घोड़ों को नियंत्रित करने वाली मुंह की क्रूर काँटेदार लगामों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाई
PETA इंडिया की अपील के बाद, नागालैंड पशुपालन और पशु चिकित्सकीय सेवा निदेशालय ने एक परिपत्र जारी कर मुख्य पशु चिकित्सकीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि घोड़ों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले अवैध स्पाइक बिट्स के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाई जाएं। PETA इंडिया ने अपनी अपील में भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी आदेश का हवाला दिया था, जिसमें इस प्रकार के क्रूर उपकरणों के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था।
घोड़ों को नियंत्रित करने हेतु प्रयोग होने वाली काँटेदार लगामें घोड़ों के मुँह में गहराई तक धंस जाती हैं और उनके होंठ और जीभ काट देती हैं, जिससे पशुओं को अत्यधिक दर्द और आजीवन क्षति का सामना करना पड़ता है। ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ के तहत बनाए गए ‘पशु क्रूरता निवारण – ड्रोट एवं पैक नियम 1965’ के नियम 8 के अंतर्गत, “सभी प्रकार की नुकीली लगामों या कटीली लगमों और इस प्रकार के अन्य काँटेदार उपकरणों” पर रोक लगाई गयी है। इसके बावजूद, काँटेदार लगामों का उपयोग आमतौर पर शादियों, सवारी, गाड़ियों और सामान ढोने के लिए उपयोग किए जाने वाले घोड़ों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
हाल ही में, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, लद्दाख और मेघालय की सरकारों ने PETA इंडिया की अपील के परिणामस्वरूप काँटेदार लगामों के उत्पादन और व्यापार पर रोक लागने के निर्देश जारी किए हैं।
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