नागपुर सिटी पुलिस और PETA इंडिया ने छापेमारी करके शहर से प्रतिबंधित और खतरनाक मांझे की सैकड़ों चरखियाँ जब्त करी

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया ने नागपुर सिटी पुलिस को एक शिकायत दर्ज कराकर सूचित किया था कि शहर में अवैध रूप से खतरनाक मांझा बेचा जा रहा है, जिसके आधार पर पुलिस ने जूनी शुक्रवारी बाजार में छापेमारी करी। इस छापेमारी में, अवैध मांझे की 115 चरखियों सहित कई सौ किलोग्राम प्रतिबंधित मांझा जब्त किया गया किया, जिसकी कीमत 1 लाख से अधिक आंकी गई है। संबंधित मामले में, सभी आरोपियों के खिलाफ़ ‘पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986’ की धारा 5 के तहत शिकायतें दर्ज करी गई है। इस कार्रवाई से पहले भी PETA  इंडिया द्वारा पतंगबाज़ी के लिए धारदार धागों के उपयोग के कारण होने वाली पशु और मनुष्य क्षति को संबोधित करने हेतु अपील करी गई थी जिसके परिणामस्वरूप, महाराष्ट्र पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने मार्च 2023 को अपनी नीति में संशोधन किया था जिसके अनुसार, “राज्य में केवल सूती धागों के साथ पतंगबाज़ी करने की अनुमति होगी, जो तेज धातु/कांच के घटकों/चिपकने वाले कणों या धागे को मजबूत करने वाली सामग्री से पूर्ण रूप से मुक्त होने चाहिए।“ महाराष्ट्र में, तेज धार वाले मांझे पर लगाया गया प्रतिबंध मनुष्यों, पक्षियों और अन्य पशुओं एवं पर्यावरण को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखकर नायलॉन मांझे पर लगाए गए राष्ट्रीय प्रतिबंध का पूरक है, जिसे PETA इंडिया की सहायता से नागपुर सिटी पुलिस द्वारा लागू किया गया।

 

मांझा अपने सभी रूपों में बेहद खतरनाक होता है जो इंसानों और पशुओं के साथ-साथ हमारे पर्यावरण को भी क्षति पहुंचता है। नागपुर में, मांझे के कारण हर साल कई अप्रिय घटनाएँ होती हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में, एक हेलमेट पहनी महिला मांझे का शिकार हो गई जिसे गंभीर चोट आई। जनवरी 2023 में, एक 11 वर्षीय लड़के की गले में मांझा फंसने से दुखद मौत हो गई। इससे पहले पतंग की डोर में उलझने से एक 20 वर्षीय मोटरसाइकिल चालक की मौत हो गई थी। और, दोस्तों के साथ मासूमियत से शुरू हुआ खेल तब खतरनाक हो गया जब एक 5 साल की बच्ची कांच से लिपटे मांझे की चपेट में आ गई, जिसे हटाने की कोशिश करने पर मांझा और अंदर तक घुस गया। अगर मांझे का त्याग नहीं किया गया तो इस प्रकार की घटनाएं आगे भी होने की पूरी संभावनाएँ हैं।

 मांझे के सभी प्रकार मनुष्यों, पशु-पक्षियों और पर्यावरण को खतरे में डालते हैं। कांच से लेपित तेज़ धार वाले नायलॉन मांझे का कई लुप्तप्राय प्रजातियों और पक्षियों की आबादी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। हर साल हजारों पक्षी इनमें फंसकर चोटिल हो जाते हैं और खून की कमी से अपने प्राण गवां देते हैं। कई गैर सरकारी संगठनों ने बताया कि पतंगबाजी के मौसम के दौरान या उसके तुरंत बाद कबूतर, कौवे, उल्लू और लुप्तप्राय गिद्धों सहित हजारों पक्षी या तो घायल हो जाते हैं या धागों में फंसने के बाद धीमी, दर्दनाक मौत का शिकार होते हैं।

मनुष्यों और पशुओं के लिए अत्यंत हानिकारक होने के साथ-साथ मांझा पर्यावरणीय खतरे भी पैदा करता है। कांच से लेपित तेज़ धार वाला नायलॉन मांझे का उपयोग प्रदूषण को और बढ़ाता है, क्योंकि ये सामग्रियां सालों तक हमारे एकोसिस्टम में फंसी रहती हैं। इसके अलावा, ये बिजली कटने का भी कारण बनते हैं, जिससे केवल एक बार में 10,000 लोग प्रभावित हो सकते हैं।

वर्ष 2024 में, PETA इंडिया की अपील के बाद, केंद्र सरकार की वैधानिक संस्था, ‘भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड” ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस प्रकार के धारदार मांझे पर प्रतिबंध लगाने और पतंग उड़ाने के लिए केवल सादे सूती धागे के उपयोग की अनुमति देने की सलाह दी। चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और त्रिपुरा सरकारों ने समान निर्देशों के साथ अधिसूचनाएं जारी की हैं।

PETA इंडिया पतंगबाज़ी में रुचि रखने वाले सभी लोगों से तेज़ धार वाले मांझे का त्याग करके, केवल सादे सूती धागे का उपयोग करके एक दयालु और जिम्मेदारीपूर्ण कदम उठाने का आग्रह करता है। इस सरल लेकिन महत्वपूर्ण कदम से कई अप्रिय घटनाओं को रोका जा सकता है और अनगिनत पशु-पक्षियों की जान बचाई जा सकती है। आइए हम सभी दयालुता के साथ अपना त्योहार मनाएँ और सादे धागे का चुनाव करके कई पशुओं और इंसानों की जान बचाएँ।