नंदुरबार पुलिस ने मदर डॉग को पीटने और घसीटकर मारने के आरोप में FIR दर्ज की
एक स्थानीय कार्यकर्ता के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि एक मादा कुत्ते को सड़क पर बहुत ही बेरहमी से घसीटा गया और छड़ी से इतनी बुरी तरह पीटा गया कि उसकी आँखें निकल गईं और कई अन्य गंभीर चोटें आईं, PETA इंडिया ने प्रीति रणछोड़ जयसवाल नामक स्थानीय निवासी के साथ मिलकर अपराधियों के खिलाफ़ FIR दर्ज़ कराई। यह FIR नंदुरबार सिटी पुलिस स्टेशन द्वारा भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 325 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11(1)(l) के तहत दर्ज की गई है। सबसे पहले प्रीति रणछोड़ जयसवाल ने ही PETA इंडिया को मामले की सूचना दी थी और पीड़ित कुत्ते को चिकित्सकीय देखभाल प्रदान करी थी, जिसके बाद दुर्भाग्यवश इसने दम तोड़ दिया।
पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023, सामुदायिक कुत्तों की नसबंदी को स्थानीय नागरिक प्राधिकरण की जिम्मेदारी बनाता है। इसके नियम 11(19) के अंतर्गत केवल नसबंदी के उद्देश्य से सामुदायिक कुत्तों को पकड़ने की अनुमति प्रदान की गयी है और इसके अंतर्गत सामुदायिक पशुओं को स्थानांतरित करना अवैध है। इसके अनुसार, “कुत्तों को [नसबंदी के बाद] उसी स्थान या इलाके में वापिस छोड़ दिया जाएगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था।”
PETA इंडिया पशुओं पर क्रूरता करने वाले अपराधियों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि पशुओं के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग पशुओं पर क्रूरता करते हैं, वह अक्सर आगे चलकर अन्य पशुओं व मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि “जो लोग पशु क्रूरता में शामिल होते हैं, उनके अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, जिसमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।”
सामुदायिक कुत्तों को लोग गोद नहीं लेते जिसके चलते वह अक्सर मानव क्रूरता का शिकार होते हैं या फिर सड़कों पर वाहनों के नीचे आकर दर्दनाक मौत मरते हैं और आमतौर पर भुखमरी, बीमारी या चोट से पीड़ित रहते हैं। हर साल, कई सामुदायिक पशु आश्रयघरों में चले जाते हैं, जहां वे
पर्याप्त अच्छे घरों की कमी के कारण पिंजरों या केनेल में पड़े रहते हैं। इस समस्या का समाधान सरल है: नसबंदी क्योंकि एक मादा कुत्ते की नसबंदी करने से छह वर्षों में 67,000 बच्चों के जन्म को रोका जा सकता है, और एक मादा बिल्ली की नसबंदी करने से सात वर्षों में 4,20,000 बच्चों के जन्म को रोका जा सकता है।
पशु क्रूरता के खिलाफ़ कुछ महत्वपूर्ण उपाय
पशु शोषणकारियों के खिलाफ़ मज़बूत दंड प्रावधानों की मांग करें