नई किताब की घोषणा: PETA निदेशक की किताब Survival at Stake ऑर्डर करें जिसकी प्रस्तावना दीया मिर्ज़ा द्वारा लिखी गयी है
Survival at Stake: How Our Treatment of Animals Is Key to Human Existence में मशहूर पशु अधिकार कार्यकर्ता और PETA इंडिया की निदेशक पूर्वा जोशीपुरा अपने पाठकों को विस्तार से समझाती है कि वर्तमान में, मनुष्यों को प्रभावित करने वाली सभी प्रमुख समस्याएँ जिनमें अत्यधिक गर्मी, सूखा, आग, प्रदूषण, एंटीबायोटिक प्रतिरोध, एवं COVID- 19 जैसी ख़तरनाक बीमारियाँ शामिल हैं, किस प्रकार से जानवरों के प्रति हमारे व्यवहार से जुड़ी हुई हैं। इस किताब की प्रस्तावना, यूनाइटेड नेशन सेक्रेटरी-जनरल ऐडवोकेट फॉर ससटेनेबल डेव्लपमेंट गोल्स दिया मिर्ज़ा द्वारा लिखी गयी है और यह किताब प्राकृतिक आपदाओं और जानवरों के साथ होने वाले शोषण के बीच के संबंध को परिभाषित करते हुए पाठकों को इन विनाश एवं विघटनकारी आचरण से बचने के तरीकों का आवश्यक रोडमैप भी प्रदान करती है। अपनी प्रति आज ही प्री-ऑर्डर करें, और इसे किसी मित्र के साथ साझा अवश्य करें!
यह ऐसा समय जब इंसानी गतिविधियों ने पृथ्वी की जलवायु और पारिस्थितिक तंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालना शुरू किया है और जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है वैसे-वैसे हमारा भविष्य भी अज्ञात होता जा रहा है। हमारा भविष्य कैसा होगा और क्या हम अपने भविष्य को इस ख़तरे से बचाने के लिए कुछ कर सकते हैं? इसका उत्तर है ‘हाँ’। वर्तमान में, जानवरों के साथ दयालुतापूर्ण व्यवहार करना ही हमारी आख़िरी उम्मीद है।
पूर्वा जोशीपुरा की यह किताब COVID-19 और SARS की उत्पत्ति का पता लगाने से लेकर एशिया में वनजीवों की मंडियों एवं मनुष्यों में HIV और और इबोला के पहले मामलों, अफ्रीका में पशु शिकार की घटनाओं, बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू के खतरों एवं फैक्ट्री फार्मों (इंसानी फ़ायदों के लिए होने वाला पशुपालन) के कारण होने वाले एंटीबायोटिक प्रतिरोध जैसी समस्याओं और जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और मांस, अंडा, डेयरी और चमड़े के उत्पादन के लिए प्रजातियों के विलुप्त होने के बीच गहरे संबंध को परिभाषित करती है और एक सुरक्षित भविष्य हेतु जानवरों के साथ दयालुतापूर्ण व्यवहार की आवश्यकता को प्रमाणित करती है।
Survival at Stake (“सरवाईवल एट स्टेक” अर्थात “आस्तित्व दाव पर”) किताब में, भारत के TB संकट और डेयरी खपत के बीच संबंध को भी बताया गया है। इसके साथ-साथ प्रयोगशालाओं में बंदरों और अन्य पशु परीक्षणों के सार्वजनिक स्वास्थ्य हेतु ख़तरे पर प्रकाश डाला गया है। इसमें यह भी समझाया गया है कि कैसे डॉग फाइट (कुत्तों की लड़ाई) और जल्लीकट्टू जैसे घातक खेल मनुष्यों में हिंसा की भावना को प्रोत्साहित करते हैं, और जानवरों के प्रति क्रूरता का बलात्कार और अन्य हिंसक अपराधों से गहरा संबंध है।
Survival at Stake की प्रशंसा:
सांसद श्रीमति मेनका गांधी ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा, “करुणा अच्छा अर्थशास्त्र, अच्छा विज्ञान, यहां तक कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सबसे अच्छा हथियार है। Survival at Stake अपने पाठकों को संदेश देती है कि पशुओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने से इंसानों के लिए एक सुरक्षित भविष्य की आशा संभव है।“
सांसद मिमी चक्रवर्ती ने लिखा, “पशु और मानव कल्याण आपस में जुड़े हुए हैं, और ‘पूर्वा’ इसे स्पष्ट करती है। वह हमें विश्वास दिलाती है कि हम जानवरों की पीड़ा और उनके साथ साझा की जाने वाली दुनिया पर पड़ने वाले प्रभावों के प्रति आंखें मूंदकर नहीं रह सकते हैं। दयालु बनें और सोचें कि आपका भोजन कहाँ से आ रहा है और ऐसी कोई भी चीज़ जिसमें खून, आँसू और पीड़ा शामिल हो, वह हमारी भोजन की थाली का हिस्सा नहीं होना चाहिए।“
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