नई जांच से सामने आया कि जॉयमाला (जैमलयथा) को अब भी जंजीरों में कैद रखा जाता है और हथियारों से नियंत्रित किया जाता है
अक्टूबर माह के अंत और अभी दिन पहले एकत्र किए गए वीडियो सबूतों के माध्यम से, PETA इंडिया द्वारा जॉयमाला (जैमलयथा) नामक हथिनी के साथ होने वाली घोर क्रूरता के साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं जिसमें उस निर्दोष पशु को एकदम अकेला, जंजीरों में जकड़ा हुआ और हथियारों से नियंत्रित देखा जा सकता है। यह पशु आज भी तमिलनाडु के श्रीविल्लिपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर की हिरासत में है। PETA इंडिया की जांच के माध्यम से तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग द्वारा किए गए दावों का भी खंडन किया गया जिसके अनुसार जॉयमाला “बिल्कुल ठीक है”। राज्य में रहने की अनुमति समाप्त होने के बाद भी जॉयमाला को श्रीविल्लीपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर द्वारा असम में उसके कस्टोडियन के पास वापस नहीं लौटाया गया था।
PETA इंडिया की जांच में जॉयमाला के पैरों पर गहरे घाव के निशान दिखाई दे रहे थे, जो लंबे समय तक जंजीरों में जकड़े रहने और मंदिर के चारों ओर थोड़ी सी सैर लगवाने वाले महावतों द्वारा मारे जाने का सबूत प्रस्तुत करते हैं।
PETA इंडिया द्वारा 27 जुलाई 2022 को जॉयमाला के संदर्भ में एक पशु चिकित्सकीय निरीक्षण यात्रा की गयी थी, जिसके बाद हमारे द्वारा तमिलनाडु के अधिकारियों को एक रिपोर्ट सौंपी गयी। इस रिपोर्ट में उल्लेखित किया गया कि जॉयमाला के पैर दर्दनात्मक ढंग से संक्रमित हैं, उसे हथियारों से नियंत्रित किया जाता है और उसके शेड में बहुत से ख़तरनाक हथियार भी थे। जंजीरों में कैद किए गए हाथियों के तलवों में अक्सर गंभीर चोटों के निशान होते हैं जो संक्रमण और ऑस्टियोमाइलाइटिस जैसी बीमारी के लक्षण हैं।
वर्ष 2021 और 2022 में दो अलग-अलग महावतों के वीडियो सामने आए जिसमें जॉयमाला को बेरहमी से पिटते और दर्द से चिल्लाते देखा जा सकता है। विडंबना यह है कि ये पिटाई हाथियों के कायाकल्प शिविर और कृष्णन कोविल मंदिर के सबसे पवित्र स्थान उसके गर्भगृह में हुई।
The truth about elephant Jeymalyatha (Joymala).
Please take action now to help #FreeElephantJeymalyatha: https://t.co/4GMI7phCFJ pic.twitter.com/avyt8g55Z9
— PETA India (@PetaIndia) September 12, 2022
असम पर्यावरण और वन विभाग की ओर से गौहाटी उच्च न्यायालय के माध्यम से जॉयमाला को तमिलनाडु से वापस असम में स्थानांतरित करने के लिए दिशा-निर्देश आपेक्षित हैं। PETA इंडिया ने सिफारिश की है कि जॉयमाला को एक विशेष पुनर्वास केंद्र में भेजा जाए, जो केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलिफेंट डिवीजन द्वारा अनुमोदित हो, जहां वह अन्य हाथियों के साथ स्वतंत्रतापूर्ण ढंग से रह सके।
जिन हाथियों को मानसिक और शारीरिक शोषण का सामान करना पड़ता है वह इस शोषण के चलते बहुत ख़तरनाक हो जाते हैं। हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, अकेले केरल में बंदी हाथियों ने 15 साल की अवधि में 526 लोगों की जान ली है। तमिलनाडु और पूरे भारत में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें हताश बंदी हाथियों ने अपने महावतों को मार डाला। उदहारण के लिए, दीवानाई नाम की पहली हथिनी जो असम की थीं और जिसने मदुरई के सुब्रमण्य स्वामी मंदिर में अपने महावत की हत्या कर दी थी; दूसरी हथिनी मासिनी को त्रिची के समयापुरम मरियममन मंदिर में रखा गया और तीसरी हथिनी मधुमती, जिसे मदुरई में एक मंदिर उत्सव में इस्तेमाल किया गया था।
जॉयमाला को तात्कालिक रूप से पुनर्वासित करना अति आवश्यक है जिसके लिए आप हमारी मदद कर सकते हैं: