50 से ज़्यादा डॉक्टरों ने तामिलनाडु सरकार से जल्लीकट्टू की अनुमति ख़ारिज करने की गुहार लगाई

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हाल ही में तामिलनाडु राज्य सरकार द्वारा जल्लीकट्टू के ऐसे आयोजनों को अनुमति दी है  जिनमें 100 लोग तक शामिल हो सकते हैं। वर्तमान समय में आम जनता के लिए कोविड-19 जैसी ख़तरनाक महामारी के ख़तरे को ध्यान में रखते हुए 50 डॉक्टरों के एक समूह ने राज्य के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को एक पत्र भेजकर जल्लीकट्टू आयोजनों के लिए दी गयी अनुमति को तुरंत ख़ारिज करने की अपील की है। पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने भी राज्य सरकार से जल्लीकट्टू आयोजनों पर रोक लगाने की मांग की है।

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इस पत्र में डॉक्टरों ने लिखा है, “कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए, जनता के स्वास्थ्य तथा स्वास्थ कर्मियों  पड़ रहे दबाव को कम करने के लिए हमें जल्लीकट्टू जैसे सभी गैरज़रूरी आयोजनों पर रोक लगा देनी चाहिए और लोगों को अनावश्यक भीड़ लगाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।”

डॉक्टरों ने अपने पत्र में सचेत किया कि जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए निर्धारित की गई शर्ते जैसे प्रतिभागियों की नेगेटिव कोविड रिपोर्ट और दर्शकों की थर्मल स्क्रीनिंग संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि बीमारी के शुरुआती चरण में, किसी संक्रमित व्यक्ति की रिपोर्ट भी नेगेटिव आ सकती है और बुखार इस बीमारी का अनिवार्य लक्षण नहीं है।

पत्र में यह भी बताया गया कि, “तामिलनाडु राज्य सरकार द्वारा 2017 में जल्लीकट्टू के आयोजन को वैध्यता प्रदान करने के बाद से अब तक इस आयोजन में कथित तौर पर कम से कम 22 बैलों और 57 आदमियों की जान जा चुकी है जबकि राज्य भर में 3,632 से ज़्यादा आदमी इस खेल के कारण चोटिल हुए है। अगर राज्य में इस आयोजन को इस साल भी अनुमति मिलती है तो यह आकड़ा और भी ज़्यादा बढ़ सकता है।”