PETA इंडिया ने हरियाणा सरकार से हमले के लिए पाले गए विदेशी नस्ल के कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया
फ़रीदाबाद में हुई एक बेहद खौफ़नाक घटना, जिसमें एक पिटबुल ने अपने 22 वर्षीय अभिभावक का कान बुरी तरह से काटकर फाड़ दिया, PETA इंडिया ने हरियाणा के पशुपालन और पशु चिकित्सकीय सेवा विभाग को एक पत्र भेजकर उनसे आमतौर पर कुत्तों की अवैध लड़ाइयों हेतु पाले जाने वाली और प्रयोग होने वाली प्रजातियों जिसमें पिट बुल टेरियर्स, रॉटवीलर, पाकिस्तानी बुली कुट्टा, डोगो अर्जेंटीनो (अर्जेंटीना मास्टिफ), प्रेसा कैनारियोस (स्पेनिश मास्टिफ), फिला ब्रासीलीरोस ( ब्राज़ीलियाई मास्टिफ़्स), बुल टेरियर्स और एक्सएल बुलीज़ शामिल हैं, पर रोक लगाने वाली राज्यव्यापी नीति को लागू करने की अपील करी। PETA इंडिया द्वारा उल्लेखित किया गया है कि इन प्रजाति के कुत्तों को अक्सर ऐसे लोगों को बेच दिया जाता है जो इन्हें नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं और स्वयं भी इन कुत्तों का शिकार बनते हैं।
हरियाणा स्थित ‘पंचकुला नगर निगम’ भारत का ऐसा पहला शहर है जहां शहर की सीमा के अंदर पिटबुल और रॉटवीलर रखने के नियम निर्धारित किए गए हैं। हाल ही में, हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ ने भी ऐसी छह प्रजातियों के कुत्तों को पालने एवं उनका प्रजनन करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य उत्तर प्रदेश में भी गाजियाबाद नगर निगम ने पिट बुल, रॉटवीलर और डोगो अर्जेंटिनो नस्ल के पालन पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है और कानपुर नगर निगम ने पिटबुल और रॉटवीलर नस्ल के पालन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया।
भारत में कुत्तों की लड़ाई के लिए मुख्य रूप से पिटबुल और इसी तरह की विदेशी कुत्तों की नस्लों का उपयोग किया जाता है, हालांकि “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” के तहत कुत्तों को लड़ाई के लिए उकसाना गैरकानूनी है। उचित नियमों एवं प्रवर्तन के अभाव में, देश के कुछ हिस्सों में डॉगफाईट प्रचलित हो गई है। पिटबुल प्रजाति के कुत्तों और डॉगफाईट में उपयोग किए जाने वाले अन्य कुत्ते सबसे अधिक दुर्व्यवहार सहने वाली नस्ल बन चुके हैं। पिटबुल और संबंधित नस्लों को भी आमतौर पर हमलावर कुत्तों के रूप में भारी जंजीरों में रखा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप उनका व्यवहार आक्रामक होता है और उन्हें जीवन भर पीड़ा झेलनी पड़ती है। इन डॉगफाईट में घायल होने वाले कुत्ते दर्दनाक शारीरिक विकृति का सामना करते हैं, जैसे कि उनके कान काट देना या पूंछ काट देना। यह अवैध प्रक्रियाएं है जिन्हें उनके पालने वाले करते हैं ताकि लड़ाई के दौरान सामने वाला कुत्ता इनके कान या पूँछ को काटकर इन्हें हरा न दे। इन कुत्तों को तब तक लड़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जब तक कि वे थक न जाएँ और दोनों में से कम से कम एक गंभीर रूप से घायल न हो जाए या मर न जाए। चूँकि कुत्तों की लड़ाई गैरकानूनी है, इसलिए घायल कुत्तों को पशु चिकित्सकों के पास नहीं ले जाया जाता है।
इन कुत्तों की नस्लों की अनिवार्य रूप से नसबंदी और पंजीकरण को लागू करके और एक निर्धारित तिथि के बाद उनके प्रजनन, रखने या बेचने पर रोक लगाकर इस समस्या से निपटा जा सकता है। PETA इंडिया अवैध पालतू पशुओं की दुकानों और ब्रीडर्स को बंद करने के साथ-साथ अवैध डॉगफाइट्स पर भी रोक लगाने का आह्वान कर रहा है।