बकरीद से ठीक पहले मुंबई के देवनार बूचड़खानें में पशुओं पर दिल दहला देने वाली बर्बरता

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PETA इंडिया ने मुंबई के देवनार बूचड़खाने का दौरा किया और पाया कि यहाँ ईद की कुर्बानी के लिए गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं आसाम जैसे दूरदराज के प्रदेशों से 1 लाख 24 हज़ार बकरे एवं भेड़ें तथा 2700 भैंसों को लाया गया है । हामारी जांच साबित करती है की वर्ष 2017 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पशुओं के ‘यातायात एवं हत्या’ के संबंध में पारित किए गए नियमों का स्पष्ट उलंघन साथ-साथ पशुओं पर दिल दहला देने वाली क्रूरता हो रही है।

PETA इंडिया मुसलमानों से अनुरोध करता है की कृपया पशुओं की कुर्बानी देने की बजाए दया एवं करुणा का परिचय देते हुए मानवीय तरीकों से ईद-उल-अज़हा का त्यौहार मनाएँ । इस दिन किसी निर्दोष बेजुबान की हत्या के बदले वीगन भोजन, धार्मिक गतिविधियों में सेवा या अन्य मानवीय कार्यों को करके इस त्यौहार का आनंद लें। हमने महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, मुंबई पुलिस, बृहनमुंबई नगर निगम, महाराष्ट्र राज्य पशु कल्याण बोर्ड, सोसाइटी फॉर द प्रीवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स, भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को एक पत्र भेजकर तत्काल रूप से बूचड़खाने का दौरा कर वहाँ पशु यातायात एवं कत्लखाने से संबन्धित बने क़ानूनों को सख्ती से लागू करने का अनुरोध किया है ।

PETA इंडिया ने जांच में निम्नलिखित क्रूरता देखी –

  • मरे हुए जानवरों को ट्रक से नीचे उतारते एक कार्यकर्ता ने बताया कि लंबे यातायात एवं देखभाल के अभाव में अनेकों जानवर यातायात के दौरान ट्रक एवं गाड़ियों में ही मर जाते है।
  • मृत पड़ी भैंसों के शरीर को एक बुलडोजर से लादकर एक जगह से दूसरी जगह ले जया जा रहा था।
  • एक बड़े शेड के नीचे भैंस, बकरों एवं भेड़ों की लाशों का ढेर लगाया जा रहा था।

 

 

 

पिछले वर्षों में बहुत से कत्लखानों पर की गयी जांच में PETA इंडिया ने पाया है कि कत्लखानों के अंदर भैंसो, भेड़ों एवं बकरों को बिना बेहोश किए एक दूसरे के सामने खुले में ही मौत के घाट उतार दिया जाता है जबकि “पशु क्रूरता निवारण (कत्लखाना) नियम 2001” तथा “खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य व्यापार पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग) रेग्युलेशन 2011” के तहत ऐसा करना नियमों के खिलाफ है। इसका मतलब है कि पशु के जिंदा रहते उसका गला काटा जाता है ताकि वह दर्द महसूस कर सके। इसके अतिरिक्त “पशु यातायात नियम 1978” का भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।

आप एक दयालु एवं मानवीय जीवनशैली अपनाकर इस क्रूरता को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं।

वीगन बनने का संकल्प लें