PETA इंडिया की संस्थापक ने अपनी स्वर्गीय माँ की याद में दिल्ली में हजार जरूरतमंद महिलाओं और बच्चों में भोजन वितरित किया
PETA इंडिया की संस्थापक इंग्रिड न्यूकिर्क की स्वर्गीय माता श्रीमती मैरी पेट्रिशा वार्ड के 100वें जन्मदिन के सम्मान में, PETA इंडिया ने लिटिल इंडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर वसंत कुंज की बंगाली बस्ती में रहने वाले एक हजार गरीब परिवारों को स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्य वर्धक वीगन राजमा चावल वितरित किए, जो कि मैरी का सबसे पसंदीदा वीगन व्यंजन भी था। श्रीमती मैरी पेट्रिशा वार्ड को बच्चों और पशुओं से बहुत प्यार था और उन्होंने अपने दिल्ली निवास के दौरान दोनों की बहुत सेवा करी।
श्रीमती मैरी पेट्रीसिया वार्ड अपने परिवार के साथ 8 वर्ष तक नई दिल्ली स्थित डिप्लोमैटिक एन्क्लेव में रहे जब उनके पति भारत सरकार के सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे जिसमें चीन के साथ युद्ध की संभावना वाला कठिन समय भी शामिल था। इस दौरान, मैरी द्वारा हर उस प्रजाति के पशु की सेवा की गई जो भी उनके दरवाजे पर आया और पशुओं के साथ-साथ जरूरतमंद इंसानों की भी विभिन्न रूप से सहायता की गयी जिसमें अविवाहित माताओं को लाभ पहुंचाने के लिए कढ़ाई करके कपड़े बेचना, मदर टेरेसा के अनाथालय में स्वयं सेवक के रूप में काम करना, और कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की मदद करना शामिल है। मैरी ने अपनी बेटी इंग्रिड न्यूकिर्क को भी हमेशा दूसरों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया और उन्हें ज़रुरतमंद बच्चों के लिए खिलौने बनाने, दवाइयाँ पैक करने और पट्टियाँ लपेटने में सहायता करने के लिए वॉलंटियर बनाया। मैरी ने इंग्रिड को सिखाया, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पीड़ित कौन है, केवल यह मायने रखता है कि वे पीड़ित हैं और आप उनकी पीड़ा को कम करने के लिए क्या कर सकते हैं।”मैरी के पति ने भी उनके सेवा भाव के प्रयासों में योगदान दिया और वर्तमान में बांग्लादेश कहलाने वाले क्षेत्र आए में मानवीय संकट के दौरान काम करते हुए वहाँ बहुत दान दिया। मैरी की मृत्यु वर्ष 2013 में US स्थित स्प्रिंगफील्ड, ओरेगन में हुई थी।
PETA इंडिया की संस्थापक इंग्रिड न्यूकिर्क ने कहा, “मेरी माँ ने हमेशा हर जीवित प्राणी के प्रति दया भाव प्रदर्शित किया, चाहे वह कोई इंसान हो या फिर रोएं, पंख और पर की त्वचा वाले पशु। PETA इंडिया जरूरतमंद लोगों को पौष्टिक और प्रोटीन से भरपूर वीगन भोजन वितरित करके, अपने दया एवं करुणा के संदेश को सभी तक पहुंचाना चाहता है।“
वीगन जीवनशैली अपनाने वाला प्रत्येक व्यक्ति हर वर्ष लगभग 200 पशुओं को अंडा, मांस एवं डेयरी उद्योग की गहन क्रूरता और उन्हें मौत के घाट उतरने से बचाता है। अंडों के लिए उपयोग की जाने वाली मुर्गियों को इतने छोटे पिंजरों में कैद किया जाता है जहाँ वह अपना एक पंख भी नहीं फ़ैला पाती और नर चूज़े अंडा नहीं दे सकते इसलिए उन्हें बेकार समझकर मार दिया जाता है। मांस के लिए मारे गए अन्य जानवरों को इतनी अधिक संख्या में वाहनों में ठूस-ठूसकर भरके बूचड़खानों में ले जाया जाता है कि इनमें से कई पशुओं की रास्ते में ही हड्डियाँ टूट जाती हैं या भीड़ के कारण दम घुट जाता है। बूचड़खानों में कसाई तेज धारधार चाकू से जिंदा जानवरों का आधा गला रेंत कर उन्हें तड़फ तड़फकर धीमी मौत मरने के लिए छोड़ देते हैं उस दौरान पशु पूरी तरह से होश में होते हैं और सभी प्रकार का दर्द महसूस कर सकते हैं।
वीगन भोजनशैली एक दयालु विकल्प होने के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी एक अच्छा निर्णय है क्योंकि इसे अपनाकर व्यक्ति में हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर के ख़तरे को कम किया जा सकता है जो कि भारत के लिए गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियाँ हैं।राजमा-चावल बहुत ही पोष्टिक होने के साथ-साथ कई लोगों का सबसे पसंदीदा वीगन भोजन भी है एवं इसमें अमीनो एसिड और प्रोटीन की मात्रा भी भरपूर होती हैं। राजमा में सॉल्युबल और इनसोल्युबल फाइबर भी पाया जाता है।