PETA इंडिया की संस्थापक ने सूखे में मांस की विनाशकारी भूमिका को दर्शाने के लिए सार्वजनिक स्नान किया
उनके शावर वाले पर्दे पर लिखा था – “1 चिकन मील = 30 शावर। दुनिया से सूखे की समस्या समाप्त करने के लिए वीगन बनें!” (यानि एक बार के मांसाहार पर 30 बार नहाने जितना पानी खर्च होता है)। इसी संदेश को जनता तक पहुँचने के उद्देश्य से PETA इंडिया की संस्थापक इंग्रिड न्यूकर्क ने 1 दिसम्बर को हॉरनिमन सर्कल में स्नान करते पानी बचाने और जलवायु आपदा में योगदान ना देने हेतु लोगो को वीगन वीगन जीवनशैली के प्रति प्रेरित किया।
न्यूकर्क कहती हैं- “दालों, सब्जियों और अनाज जैसे पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों के मुक़ाबले मांस और डेयरी पदार्थों के उत्पादन में 50 गुना अधिक पानी खर्च होता है। भारत भी अक्सर सूखे से पीड़ित रहता है, PETA इंडिया दुनिया भर के लोगों से चिकन और दही की बजाय स्वादिष्ट वीगन खाद्य पदार्थों का चयन करके पानी जैसे कीमती प्रकर्तिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए अनुरोध करता है। वीगन भोजन ना सिर्फ जानवरों के जीवन के लिए बेहतर है बल्कि हमारे ग्रह और अपने स्वयं के स्वास्थ्य हेतु भी एक सुरक्षित विकल्प है”
वॉटर फुटप्रिंट नेटवर्क के मुताबिक, एक किलो सब्जियां पैदा करने में 322 लीटर पानी खर्च होता है जबकि इसके विपरीत, 1 किलोग्राम दूध के लिए 1020 लीटर, 1 किलोग्राम अंडे के लिए 3265 लीटर, 1 किलोग्राम पोल्ट्री मांस के लिए 4325 लीटर, 1 किलोग्राम सूअर के मांस के लिए 5988 लीटर और 1 किलोग्राम मटन के लिए 8763 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि 1 किलोग्राम गोमांस के लिए 15,415 लीटर की आवश्यकता होती है।
पश्चिम देशों द्वारा शुरू की गई फैक्ट्री फार्मिंग का उपयोग अब पूरे भारत में किया जाता है, जिससे भारी समस्याएँ पैदा होती हैं। जानवरों के चारे को उगाने के लिए वर्षावनों को काटा जा रहा है, और कुछ अनुमानों के अनुसार, आधुनिक पशु कृषि दुनिया भर में होने वाले परिवहन की तुलना में अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। अब जबकि भारत में 189 मिलियन लोग भूखे रहते हैं और देश के आधे से कम नागरिकों के पास सुरक्षित पीने का पानी उपलब्ध है, पशुओं से उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थों के उत्पादन में दुनिया के मीठे पानी के संसाधनों का एक तिहाई और दुनिया की एक तिहाई कृषि भूमि का उपयोग होता है। इस कृषि योग्य भूमि का उपयोग मांसाहार की भरपाई करने हेतु जानवरों का पालन पोषण की बजाय इन्सानों को भूख से मरने के लिए उनके लिए भोजन उगाने के लिए किया जा सकता है।
जानवरों के हित में सही कदम उठाएँ: वीगन जीवनशैली अपनाएँ
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