PETA इंडिया का नया बिलबोर्ड अभियान लोगों को देसी कुत्ता गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करता है और विदेशी प्रजातियों के कुत्तों से संबंधित ख़तरे को प्रकाशित करता है
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) से ठीक पहले PETA इंडिया ने इंदौर, चंडीगढ़, लखनऊ और पुणे में बिलबोर्ड लगाकर लोगों को प्रोत्साहित किया कि वह अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन करते हुए सड़क या पशु आश्रयों से किसी प्यारे देसी कुत्ते को गोद लें और विदेशी कुत्तों की बिक्री करने वाले पैट शॉप या ब्रीडर का समर्थन न करें जिससे देशभर के 8 करोड़ से भी अधिक बेघर कुत्तों एवं बिल्लियों की समस्या को बढ़ावा मिलता है। समूह द्वारा इस बिलबोर्ड अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश में अवैध लड़ाई के लिए प्रयोग होने वाले पिट बुल द्वारा हाल ही में मनुष्यों पर किए गए दो हमलों के बाद की गई है।
कुत्तों की बिक्री करने वाले यह पैट शॉप या ब्रीडर जिन मादा कुत्तों को अपने केन्द्रों पर रखकर उनसे बच्चे पैदा करवाते हैं उन्हें पर्याप्त भोजन, चिकित्सीय देखभाल, व्यायाम एवं सामाजिक गतिविधियों से वंचित रखते हैं। बॉक्सर, जर्मन शेपर्ड, और लैब्राडोर रिट्रीवर्स जैसे विदेशी प्रजातियों के कुत्तों में आनुवंशिक एवं वंशानुगत बीमारियों के लक्षण व्यापक रूप से देखने को मिलते हैं क्योंकि इन जानवरों का प्रजनन सपाट चेहरे या लंबी पीठ जैसे अप्राकृतिक लक्षणों के लिए किया जाता है। शुद्ध नस्ल के कुत्तों में पाई जाने वाली सामान्य बीमारियों में सांस लेने में तकलीफ, कैंसर, हृदय रोग, रक्तस्राव विकार, शारीरिक विकृति और आंखों की समस्याएं शामिल हैं। इसके विपरीत, भारतीय समुदाय के कुत्ते स्वस्थ और अधिक मजबूत होते हैं।
पिट बुल जैसी विदेशी प्रजाति के कुत्तों को आमतौर पर अवैध लड़ाई के लिए पाला जाता है। हाल ही में मेरठ में पिट बुल द्वारा हमला किए जाने के बाद एक किशोर के गंभीर रूप से घायल होने की ख़बर सामने आने और लखनऊ में एक बुजुर्ग महिला को उसके बेटे के पिट बुल द्वारा मौत के घाट उतारे जाने के कुछ ही दिनों बाद, PETA इंडिया ने पशुपालन एवं डेयरी मंत्री माननीय श्री पुरषोत्तम रूपला जी से “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग नियम) 2017″ में तत्काल संशोधन की मांग की है। PETA इंडिया ने लड़ाई एवं आक्रामकता के लिए विदेशी नस्ल के कुत्तों जैसे पिट बुल के प्रजनन एवं पालन, अवैध रेसिंग प्रतियोगिताओं के लिए दो अन्य विदेशी नस्लों के प्रजनन तथा ब्रैचिसेफलिक प्रजाति के कुत्तों के प्रजनन को प्रतिबंधित करने की मांग की है।
वोडाफोन द्वारा भारत में लोकप्रिय हुए पग जैसे विदेशी प्रजाति के ब्रैचिसेफलिक कुत्ते में भी Brachycephalic Obstructive Airway Syndrome (BOAS) एवं आँख और त्वचा संक्रमण जैसी गंभीर बीमारियाँ पायी जाती हैं। पग और Pekingese, Shih Tzu एवं Lhasa Apso जैसे ब्रैचिसेफलिक कुत्तों में भी आँखों की नाज़ुक त्वचा के कारण प्रॉप्टोसिस नामक बीमारी के लक्षण बहुत जल्दी देखने को मिलते हैं जिसके कारण उनकी आँख बाहर की ओर निकल आती हैं और उन्हें आपातकालीन सर्जरी की आवश्यकता होती है। Cavalier King Charles Spaniels नामक ब्रैचिसेफलिक प्रजाति के कुत्ते में सीरिंगोमीलिया के गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं जिसके अंतर्गत उनके मस्तिष्क में होने वाले रिसाव के कारण कुत्ते की खोपड़ी उनकी मस्तिष्क के हिसाब से बहुत छोटी होती चली जाती है।
माधुरी दीक्षित, आलिया भट्ट, सोनाक्षी सिन्हा, रवीना टंडन, तृषा कृष्णन, डिनो मोरिया और इमरान खान जैसी मशहूर हस्तियों ने PETA इंडिया के साथ काम करके अपने प्रशंसकों से सामुदायिक कुत्ते और बिल्लियों को अपनाने का आग्रह किया है।