PETA इंडिया ने गौहाटी उच्च न्यायालय में जॉयमाला नामक शोषित हथिनी के मामले में हस्तक्षेप किया
PETA इंडिया द्वारा दायर एक आवेदन के बाद, गौहाटी उच्च न्यायालय की श्री जस्टिस मिशल ज़ोथनकुमा युक्त बेंच द्वारा समूह को इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति प्रदान की गयी है। इस केस के अंतर्गत असम पर्यावरण और वन विभाग द्वारा जॉयमाला (जिसे जैमलयथा नाम से जाना जाता है) नामक शोषित हथिनी के तमिल नाडु से वापिस असम के हस्तांतरण हेतु निर्देश का अनुरोध कर रहा है। जॉयमाला लगभग एक दशक से तमिलनाडु के श्रीविल्लिपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर की अवैध हिरासत में हैं। वर्ष 2021 और 2022 में दो अलग-अलग महावतों के वीडियो सामने आए जिसमें जॉयमाला को बेरहमी से पिटते और दर्द से चिल्लाते देखा जा सकता है। विडंबना यह है कि ये पिटाई हाथियों के कायाकल्प शिविर और कृष्णन कोविल मंदिर के सबसे पवित्र स्थान उसके गर्भगृह में हुई।
Respected @byadavbjp @moefcc @himantabiswa @mkstalin @Ramachandranmla @rameshpandeyifs, elephant Jeymalyatha (Joymala) is still in chains, alone, and being controlled with weapons.
Please send her to a sanctuary where she can live unchained. #FreeElephantJeymalyatha pic.twitter.com/yO9lnYQo9H
— PETA India (@PetaIndia) November 15, 2022
PETA इंडिया ने सिफारिश की है कि जॉयमाला को एक विशेष पुनर्वास केंद्र में भेजा जाए, जो केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट एलिफेंट डिवीजन द्वारा अनुमोदित हो, जहां वह अन्य हाथियों के साथ स्वतंत्रतापूर्ण ढंग से रह सके। PETA इंडिया ने माननीय गौहाटी उच्च न्यायालय से यह निवेदन किया है कि जॉयमाला की हिरासत के बारे में निर्णय उसके सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
PETA इंडिया ने असम की हथिनी जॉयमाला (जिसे तमिलनाडु में जैमलयथा कहा जाता है) के साथ हो रहे नियमित दुर्व्यवहार को उजागर किया है जिसमे उसे हथियारों से यातनाएं देना और नए महावत द्वारा उसे प्लायर से नोचा जाना शामिल है। रिपोर्ट में यह भी चौंकने वाला खुलासा हुआ है कि जयमाला का वाइरल वीडियो जिसमें उसको ज़ंजीरों से बांधकर इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसके चीखने और दर्द से कराहने की आवाज़े साफ सुनी जा सकती हैं, वह स्थान कृष्णन कोविल मंदिर का गर्भगृह था। इसके पहले के एक वीडियो में जोयमाला को एक कायाकल्प शिविर में दो अन्य महावतों द्वारा पिटाई किए जाने के दौरान वह दर्द से चिल्लाती हुई दिखाई दी थी।
PETA इंडिया उल्लेखित करता है कि शोषित हाथी अपने आसपास वाले लोगों के लिए गहन ख़तरा होते हैं। तमिलनाडु और पूरे भारत में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें हताश बंदी हाथियों ने अपने महावतों को मार डाला। उदहारण के लिए, दीवानाई नाम की पहली हथिनी जो असम की थीं और जिसने मदुरई के सुब्रमण्य स्वामी मंदिर में अपने महावत की हत्या कर दी थी; दूसरी हथिनी मासिनी को त्रिची के समयापुरम मरियममन मंदिर में रखा गया और तीसरी हथिनी मधुमती, जिसे मदुरई में एक मंदिर उत्सव में इस्तेमाल किया गया था।
राज्य में रहने की अनुमति समाप्त होने के बाद भी जॉयमाला को श्रीविल्लीपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर द्वारा असम में उसके कस्टोडियन के पास वापस नहीं लौटाया गया था।
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