PETA इंडिया के कार्यकर्ताओं ने गुजरात में G20 मीट के दौरान जनता को वीगन जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित किया
24 मार्च को PETA इंडिया और वीगन ऑफ गुजरात के कार्यकर्ताओं ने गांधीनगर की सड़कों पर सब्जियों से बनी पोशाक पहनकर प्रतिकात्मक रूप से प्रदर्शन किया और शहर में 27 एवं 29 मार्च को होने वाली G20 मीट से पहले जनता को वीगन जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित किया। ग्रुप के कार्यकर्ताओं द्वारा आम जनता को समझाया गया कि वीगन जीवनशैली अपनाकर अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है, डिफोरेस्टेसन से लड़ा जा सकता है और प्रदूषण को कम किया जा सकता है। वीगन भोजनशैली के अंतर्गत पशु मुक्त उत्पादों एवं पेड़-पौधों से मिलने वाले पदार्थों का सेवन किया जाता है।
आज के मांस, अंडा और डेयरी उद्योगों में भारी संख्या में पशुओं को बड़े-बड़े गोदामों में गंभीर कैद में पाला जाता है। जैसा कि PETA इंडिया ने अपने “Glass Walls” नामक वीडियो के द्वारा खुलासा किया है कि भोजन के लिए मारी जाने वाली मुर्गियों की हत्या करने से पहले उनके साथ कितनी क्रूरता की जाती है, उन्हें उल्टा लटकाया जाता है। गायों एवं भैंसों को इतनी अधिक संख्या में गाड़ियों में ठूस ठूस कर बूचडखानों में भेजा जाता है कि परिवहन के दौरान और बूचड़खानों तक पहुँचने से पहले रास्ते में ही उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं। भोजन के लिए मारे जाने वाले सूअरों के दिल में छुरा घोंप दिया जाता है। मछलियों को समुद्र से निकाल कर नौकाओं के डेक पर फेंक दिया जाता है जहां पानी के अभाव में वह घुट घुट कर मर जाती हैं।
PETA इंडिया सभी को वीगन भोजन अपनाने में मदद करने हेतु मुफ्त वीगन स्टार्टर किट प्रदान कर रहा है। वीगन भोजनकैंसर, मधुमेह, मोटापा एवं हृदय रोग से पीड़ित होने के जोखिम को कम करने में सहायक है व साथ ही साथ ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जन को कम करके जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरों से लड़ने में मदद करता है और भविष्य में होने वाली महामारियों को भी रोक सकता है। COVID -19, सार्स, स्वाइन फ्लू एवं बर्ड फ्लू जैसी भीषण महामरियाँ होने का कारण भी मांस के लिए पाले जाने वाले जानवरों की मास मंडियों को माना गया है।
अगर मनुष्यों द्वारा अंडा, मांस एवं डेयरी का त्याग नहीं किया गया तो हमारे साथ-साथ इस ग्रह में कोई सकारात्मक बदलाव संभव नहीं है।