PETA इंडिया ने तेलंगाना में मुहर्रम और बोनालू पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए यांत्रिक हाथियों को प्रदान करने का प्रस्ताव दिया; केंद्र सरकार द्वारा कर्नाटक से अस्वस्थ्य हाथियों के स्थानांतरण पर अस्थायी रूप से रोक लगाई गयी

Posted on by Erika Goyal

यह ख़बर सामने आने के बाद कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कर्नाटक राज्य से रूपवती नामक एक हथिनी को उसके खराब स्वास्थ्य के कारण अस्थायी रूप से तेलंगाना स्थानांतरित करने का आदेश दिया है, PETA इंडिया द्वारा सार्वजनिक रूप से तेलंगाना में मुहर्रम और बोनालू पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए यांत्रिक हाथियों को प्रदान करने का प्रस्ताव दिया गया है। PETA इंडिया द्वारा यह निर्णय इसलिए लिया गया है जिससे सभी धर्म अनुयायियों द्वारा बिना किसी परेशानी के अपनी प्रथाओं का पालन किया जा सके और भीड़ के कारण मानसिक तनाव के चलते हाथियों द्वारा किए जाने वाले हमलों से भी इंसानों की रक्षा की जा सके। PETA इंडिया का यह मनाना है कि यांत्रिक हाथियों के उपयोग से मनुष्यों को भी मानसिक रूप से परेशान हाथियों के जानलेवा हमलों से बचाया जा सकता है और हम रूपावती को किसी स्थानीय अभयारण्य में पुनर्वासित करने की मांग करते हैं जहां वह अपना आगे का जीवन शांतिपूर्ण ढंग से अन्य हाथियों की संगत में व्यतीत कर पाएंगी।

पशु चिकित्सकीय विशेषज्ञों द्वारा अपनी जांच के उपरांत PETA इंडिया को सूचित किया गया कि रूपावती परिवहन और कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए अयोग्य है और उसके शरीर के ऊपर लंबे समय तक शारीरिक पीड़ा के लक्षण साफ़ तौर पर लक्षित होते हैं एवं उसे एक प्रतिष्ठित अभयारण्य में पुनर्वासित करने की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ, उसके पैरों के तलवे पूरी तरह से चपटे हो गए हैं जिससे वह अत्यधिक पीड़ा में हैं और उसका शहर की सड़कों और अन्य सतहों पर फिसलने का खतरा बढ़ गया है।

पिछले महीने, PETA इंडिया ने तेलंगाना के वन और पर्यावरण मंत्री, राज्य के पर्यावरण और वन के प्रमुख सचिव, तेलंगाना वक्फ बोर्ड और HEH निज़ाम के धार्मिक ट्रस्ट से मुहर्रम  और बोनालू के अवसर पर एक यांत्रिक हाथी प्रदान करने के प्रस्ताव साथ मुलाक़ात करी थी।

कई मशहूर हस्तियों के समर्थन से, PETA इंडिया द्वारा पहले ही चार यांत्रिक हाथियों को दान दिया जा चुका है जिसमें त्रिशूर में इरिनजादपिल्ली श्री कृष्ण मंदिर का इरिंजदापिल्ली रमन, कोच्चि में त्रिक्कयिल महादेव मंदिर का महादेवन, तिरुवनंतपुरम में पूर्णमिकावु मंदिर का बालाधासन, और मैसूरु में वीरसिम्हासन महासंस्थान मठ का शिवा शामिल है। यह निर्णय इन मंदिरों द्वारा भविष्य में कभी भी जीवित पशुओं का इस्तेमाल न करने की प्रतिज्ञा के बाद लिया गया है। इन और अन्य यांत्रिक हाथियों का उपयोग अब मंदिरों में सुरक्षित, क्रूरता-मुक्त समारोह आयोजित करने के लिए किया जाता है, जिससे जीवित हाथियों को प्रकृति में अपने परिवारों के साथ रहने का मौका मिलता है।

यांत्रिक हाथी अपना सिर हिला सकते हैं, अपने कान हिला सकते हैं, अपनी पूँछ घुमा सकते हैं और अपनी सूंड उठा सकते हैं। असली हाथियों के स्थान पर उनका उपयोग करने से धार्मिक संस्थानों को भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और मानवीय तरीके से अनुष्ठान करने में मदद मिलती है। ऐसे “हाथी” की देख-रेख के नाम पर केवल  बिजली और सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान उसके साथ रहने वाले कर्मचारियों की लागत शामिल होती है।

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