PETA इंडिया ने गढ़ीमाई में पशुओं का नरसंहार बंद करने का अनुरोध किया

Posted on by Erika Goyal

वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक हंगामे के बावजूद 7 से 9 दिसंबर के बीच आयोजित होने वाले गढ़ीमाई महोत्सव से पहले, PETA इंडिया ने बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार को पत्र लिखकर भारतीय पशुओं को नेपाल ले जाने से रोकने के लिए सीमा पर सतर्कता बरतने का आग्रह किया है। हमने नेपाल के प्रधान मंत्री श्री केपी शर्मा ओली जी को भी पत्र लिखकर आग्रह किया है वह नेपाल में हजारों पशुओं के नरसंहार को रोकने के लिए मजबूत कार्रवाई करें। गढ़ीमाई दुनिया का सबसे बड़ा पशु बलिदान उत्सव माना जाता है। इस कार्यक्रम की अमानवीय प्रथाओं, गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों और पर्यावरणीय क्षति के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय आलोचना हुई है। PETA इंडिया ने दोनों पत्रों में, चेतावनी दी है कि विभिन्न प्रजातियों के पशुओं के परिवहन, भंडारण और वध के परिणामस्वरूप एक और महामारी हो सकती है।

पिछले गढ़ीमाई उत्सव के बाद से, COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में 7 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले ली है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस सबसे पहले जीवित पशु मंडी से मनुष्यों में फैला, जहां विभिन्न प्रजातियों को माँस के लिए लाया जाता है और फिर खुले में उनकी हत्या कर दी जाते है- जैसा कि गढ़ीमाई महोत्सव में भी हुआ था। भीड़-भाड़ वाले जीवित-पशु और वध स्थल रोगजनकों के लिए प्रजनन स्थल बनाते हैं, ताकि वे प्रजातियों में उत्परिवर्तन कर सकें और संभावित महामारियों को जन्म दे सकें। PETA इंडिया के पत्र में यह भी बताया गया है, H5N1 बर्ड फ्लू – जिसकी मनुष्यों में मृत्यु दर 60% है – वर्तमान में मनुष्यों सहित मुर्गियों, गायों और अन्य पशुओं में फैल रहा है।

जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ पॉलिसी के वर्ष 2020’ के एक लेख के अनुसार, “गढ़ीमाई में, पशुओं को मौत के घाट उतारने के लिए कसाई पशुओं को अन्य जानवरों से अलग किए बिना उनके बाड़ों में ही उनका सिर काट देते हैं। अपनी मौत का इंतजार कर रहे बाड़ों में बंद पशुओं के लिए न तो अलग से कोई वध स्थल हैं और न ही छाया या पानी। मारे गए पशुओं के शरीर से बहने वाले खून और शारीरिक तरल पदार्थ को भी ऐसे ही खुले में छोड़ दिया जाता है। पशुओं की हत्या करने के इन तरीकों में निर्धारित प्रक्रियाओं का उल्लंघन, स्वच्छता मानकों या सुरक्षात्मक उपायों (जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) की कमी के चलते स्वयं कसाई, मंदिर परिचारक और मौजूद जनता, मारे गए पशुओं के खून और शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आते हैं और जो कि सभी के स्वास्थ्य के लिए बेहद ख़तरनाक है। मानव और पशु रोग का प्रकोप कई संचरण मार्गों से होता है जिसमें पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला ज़ूनोटिक संचरण भी शामिल है और इस तरह की पशुओं की नृशंस हत्या अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI), एंथ्रेक्स और हाइडैटिडोसिस जैसे रोग संक्रमण को बढ़ावा दे सकती है और साथ ही साथ लेप्टोस्पायरोसिस, ब्रुसेलोसिस, तपेदिक और साल्मोनेलोसिस जो नेपाल में मारे जाने वाले इन पशुओं में endemic (स्थानिक) हैं।

PETA इंडिया गढ़ीमाई पशु बलि को समाप्त करने की वकालत करता है, इससे पशुओं और मनुष्यों की रक्षा होगी और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ेगी, जिससे पर्यटक आकर्षित होंगे।

नेपाल में पशुओं का नरसंहार बंद हो