PETA इंडिया ने केंद्रीय नियामक निकाय से नए प्रस्तावित नियमों के माध्यम से गैर-पशु परीक्षण विधियों का एक डेटाबेस बनाने का आग्रह किया
पिछले 10 मई को PETA इंडिया ने ‘कमेटी फॉर द पर्पस ऑफ कंट्रोल एंड सुपरविजन ऑफ एक्सपेरिमेंट ऑन एनिमल्स’ (सीपीसीएसईए) को जानवरों की सुरक्षा हेतु कुछ सिफारिशें भेजी हैं। CPCSEA पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है जो प्रस्तावित CPCSEA प्रशासन नियम, 2022 के अनुसार बदलाव कर रहा है। PETA इंडिया द्वारा भेजी गयी सिफ़ारिशों में CPCSEA के मुख्य कार्यों गैर-पशु परीक्षण विधियों के संबंध में उन शिक्षण और प्रशिक्षण विधियों वाले अपडेट डेटाबेस को बनाए रखने के लिए कहा गया है जिनके उपयोग से जानवरों पर होने वाले परीक्षणों को गैर पशु विधियों में बदला जा सकता है। PETA समूह ने कहा है कि गैर-पशु परीक्षण विधियों का एक व्यापक और नियमित रूप से अपडेट होने वाला डेटाबेस CPCSEA को जानवरों का उपयोग करने वाले प्रस्तावों को अस्वीकार करने का अधिकार देगा।
हालांकि भारत सरकार CPCSEA द्वारा सिफ़ारिश किए गए परीक्षणों में प्रत्येक वर्ष उपयोग किए जाने वाले जानवरों की संख्या का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं करती है, लेकिन अनुमान है कि 2015 में एक मिलियन से अधिक वैज्ञानिक प्रक्रियाओं का आयोजन किया गया था, जो पिछले 10 वर्षों में 20% से अधिक की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रस्तावित सुधारों में, PETA इंडिया ने CPCSEA से प्रयोगों के लिए पाले और इस्तेमाल किए जाने वाले जानवरों की संख्या और प्रजातियों का विस्तृत रिकॉर्ड बनाए रखने का भी आग्रह किया। PETA का सुझाव है कि समिति व्यापक रूप से जानवरों के उपयोग के प्रस्तावों का विश्लेषण करे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी परीक्षण का परिणाम किसी जानवर की पीड़ा या उसके जान से बढ़कर न हो। इसके अलावा, जब जानवरों का उपयोग करने वाले प्रयोगों को मंजूरी दी जाती है, तो PETA इंडिया CPCSEA से यह आंकलन करने के लिए आग्रह करता है की वह इन परीक्षणों के परिणामों की आलोचनात्मक समीक्षा करे ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या जानवरों पर प्रयोग करके मानव स्वास्थ्य में कोई औसत दर्जे की प्रगति हुई है।
PETA इंडिया ने द रिसर्च मॉडर्नाइजेशन डील को भी CPCSEA के साथ साझा किया है जिसमे इन्सानों के लिए उपचार और इलाज के लिए जानवरों पर प्रयोगों की विफलता का विवरण दिया गया है और प्रभावी, गैर-पशु प्रयुक्त विधियों के माध्यम से अनुसंधान के आधुनिकीकरण के लिए एक व्यापक रणनीति प्रदान करता है।
यह रिसर्च मॉडर्नाइजेशन डील को अपनाने का बिल्कुल सही समय है !