PETA इंडिया ने भारतीय दवा नियंत्रक से COVAXIN के उत्पादन में नवजात बछड़े का सीरम लेने की बजाए गैर पशु विधियों को अपनाने का अनुरोध किया
PETA इंडिया की साइंस पॉलिसी साइन्स पॉलिसी एडवाइजर डॉ अंकिता पांडे ने एक पत्र लिखकर ड्रग कंट्रोलर जनरल डॉ वीजी सोमानी से कहा कि वे कोविड 19 वैक्सीन निर्माताओं को निर्देश दें कि वे नवजात बछड़े के सीरम (NBCS) के प्रयोग की बजाए उन गैर पशु प्रयुक्त विधियों का इस्तेमाल करें जो रसायनिक तरीके से उचित हैं तथा व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हैं। जबकि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि फाइनल वैक्सीन उत्पाद में कोई नवजात बछड़े का सीरम नहीं है, लेकिन हमने यह सुझाव हाल ही में आई उस रिपोर्ट के बाद दिया जिसमे यह कहा गया है कि ‘भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर बनाई जा रही ‘COVAXIN’ नामक कोविड-19 वैक्सीन के उत्पादन में NBCS का प्रयोग किया जा रहा है और यह NBCS महज 20 दिन की उम्र के नवजात बछड़ों को मारकर उनके खून से निकाला जाता है।
पशु क्रूरता निवारण (कत्लखाना) नियम, 2001 के अनुसार, तीन महीने से कम उम्र के जानवरों और गर्भवती जानवरों का वध प्रतिबंधित है इसलिए वैक्सीन उत्पादन के लिए 20 दिन से कम उम्र के बछड़ों को मारकर उनसे मिलने वाले सीरम के प्रयोग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। भारत के विभिन्न राज्यों ने गायों और कई बार बछड़ों, बैलों और भैंसों के वध पर प्रतिबंध लगा दिया है। हमारे देश में गायों और कई जगह बछड़ों का वध क़ानूनी रूप से प्रतिबंधित है इसलिए दूसरे देशों द्वारा जानवरों की हत्या कर निकाले गए सीरम का आयात भी अनुचित और अनैतिक है। इसके साथ ही जानवरों का प्रजनन और प्रयोग (नियंत्रण और पर्यवेक्षण) संशोधन नियम, 2006 के अनुसार पशु प्रयोग के विकल्पों पर ज़ोर दिया जाना चाहिए।
अपने पत्र में PETA इंडिया ने बताया वैक्सीन उत्पादन में NBCS की तरह पशुओं से मिलने वाले अन्य तत्वों का प्रयोग दवाओं के अनुसंधान एवं उसकी गुणवत्ता के साथ समझौता करते हैं और इनके कारण अक्सर गैर-मानवीय प्रोटीन और पैथोजन्स का ख़तरा भी होता है। जैसे जैसे वैक्सीन उत्पादन की मात्रा बड़ रही है, जानवरों के सीरम के इस्तेमाल से बनने वाले कोविड-19 की वैक्सीन के उत्पादन में देरी हो सकती है लेकिन जानवरों के सीरम की जगह गैर पशु प्रयुक्त विधियों के इस्तेमाल से इस देरी से बचा जा सकता है।
गैर पशु प्रयुक्त मीडिया पहले से व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हैं और Vero सेल के लिए बछड़ों से मिलने वाले NBCS की बजाय इनका इस्तेमाल करना अधिक उपयोगी हो सकता है। PETA इंडिया वैक्सीन उत्पादन हेतु आधुनिक विधियों को तात्कालिक ढंग से अपनाने का समर्थन करता है खास तौर पर भारत जैसे देश में जहां गाय और उनके बछड़ों का जनता से धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से गहरा संबंध है और जहाँ गायों और बछड़ों को नुक्सान देना दंडनीय अपराध है।
PETA इंडिया और उसके साथी वैज्ञानिक सीरम उत्पादन हेतु जानवरों के प्रयोग को समाप्त करने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं। PETA Science Consortium International e.V, (जिसका PETA इंडिया भी एक सदस्य है) के पास कई ऑनलाइन संसाधन है उनका प्रयोग करके शोधकर्ताओं द्वारा foetal bovine सीरम को सेल कल्चर मीडिया में बदला जा सकता है। PETA इंडिया ने अलग से एक ब्लॉग साझा कर वीगन जीवनशैली अपनाने वाले सभी लोगों को वैक्सीन लगवाने की सलाह भी दी है।
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