PETA इंडिया की छात्रों से अपील: इस वेलेंटाइन डे पर मुर्गियों के मांस से ब्रेकअप करें

Posted on by Erika Goyal

वेलेंटाइन डे के मौके पर, PETA इंडिया ने कोयंबटूर, गोवा, नागपुर और पुडुचेरी में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के बाहर विज्ञापन लगाकर छात्रों को एक खास संदेश दिया है: “इस हॉट चिक से ब्रेकअप कर लें।” यहां “चिक” का मतलब मुर्गी के मांस से है, और यह विज्ञापन छात्रों को वीगन बनने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

 

प्रत्येक व्यक्ति जो वीगन जीवनशैली अपनाता है, वह एक वर्ष में लगभग 200 पशुओं को मांस, अंडे और डेयरी उद्योगों की यातनाओं से बचा सकता है। भोजन के लिए मार दिए जाने वाले पशुओं जैसे मुर्गियां, गायें, सूअर, बकरियां और अन्य पशु अत्यधिक संख्या में ट्रकों में भरकर गंदे तरीकों से परिवहन किए जाते हैं, जिससे उनकी हड्डियां टूट जाती हैं और कई पशु घुटन तथा यात्रा की यातनाओं से रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। कत्लखानों में कसाई तेज धार वाले चाकू से उनके गले रेंतकर उन्हें धीमी और दर्दनाक मौत मरने के लिए छोड़ देते हैं, और सचेत अवस्था में होते हुए भी उनके अंगों को काट दिया जाता है। अंडे उद्योग में नवजात नर मुर्गों को इस कारण से पीसकर, जलाकर या जिंदा दफनाया जाता है क्योंकि वे अंडे नहीं दे सकते, जबकि डेयरी उद्योग में नर बछड़ों को अक्सर त्याग दिया जाता है, भूख से मरने के लिए छोड़ दिया जाता है या मार डाला जाता है क्योंकि वे दूध नहीं दे सकते हैं।

वीगन जीवनशैली अपनाने वाले लोगों को हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है, और मांसाहारी लोगों की तुलना में वे अधिक फिट और तंदुरुस्त रहते हैं। इसके अलावा, मांस, अंडे और डेयरी उत्पादों के लिए पशुओं का पालन-पोषण जल प्रदूषण और भूमि क्षरण का प्रमुख कारण है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर लोगों को वीगन जीवनशैली अपनाने की आवश्यकता है।

वीगन जीवनशैली अपनाएं