PETA इंडिया को, बचाव कर लायी गयी ‘रानी’ नामक गाय का कब्जा मिला।
मुंबई के अंधेरी में भीड़भाड़ वाली सड़क पर एक व्यक्ति के द्वारा एक गाय के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उसे भीख मांगने हेतु इस्तेमाल किया जा रहा था, इस पर कार्यवाही करते हुए PETA इंडिया ने अंबोली पुलिस स्टेशन में उक्त व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज कारवाई व मुंबई पुलिस के सहयोग से उसकी गाय जब्त करवाई थी। बाद में PETA इंडिया ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर जब्त की गयी गाय की अन्तरिम हिरासत की मांग की जिस पर कार्यवाही करते हुए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने गाय की अन्तरिम हिरासत PETA इंडिया को दे दी है।
अंबोली पुलिस अधिकारियों की मदद से बचाई गई गाय को आवश्यक देखभाल के लिए तुरंत बॉम्बे सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स वेटनरी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, अंधेरी के यहाँ PETA इंडिया द्वारा गाय की अंतरिम हिरासत की मांग करते हुए दायर की गयी एक याचिका में, PETA इंडिया ने महाराष्ट्र सरकार के 2006 के उस नोटिफिकेशन का उल्लेख किया है जिसमे अंधेरी सहित मुंबई क्षेत्र में मवेशियों की आवाजाही एवं पालन प्रतिबंधित है। अदालत ने “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत अधिसूचित “पशु क्रूरता निवारण (केस चल रहे पशुओं की देखभाल और रखरखाव) नियम, 2017” को संज्ञान में लेते हुए PETA द्वारा हिरासत की मांग हेतु दायर की गयी याचिका को मंजूरी दे दी है। अब जब PETA इंडिया ने गाय की अंतरिम हिरासत प्राप्त कर ली है, हम उसे पुनर्वास केंद्र भेजकर उसके सुरक्षित रखरखाव के व्यवस्था करेंगे जहाँ उसे पशु चिकित्सा व उचित देखभाल प्राप्त हो सके व वह बचाव कर लाये गए अन्य पशुओं के साथ मिलजुलकर रह सके।
भारतीय डेयरी उद्योग में, मादा गायें भयानक क्रूरता सहती हैं जैसे जंजीरों को जकड़ना, कृत्रिम रूप से गर्भधारण कराना व उनसे उनके नवजात बछड़ों को छीन कर अलग कर देना शामिल है। PETA द्वारा डेयरी उद्योग में की गयी जांच से खुलासा हुआ कि वहाँ पशुओं को नियमित रूप से मारा पीटा जाता है, पशु चिकित्सा देखभाल से वंचित रखा जाता है, और अपने स्वयं के मलमूत्र के बीच सने खड़े रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
डेयरी उत्पादों का उपभोग करने वाले मनुष्य भी आगे चलकर अनेकों स्वस्थ्य समस्याओं का शिकार होते हैं: गायों के दूध के सेवन से हृदय रोग, मधुमेह, मोटापे और श्वसन संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने का जोखिम बना रहता है। पशु अनुकूल सोया दूध- प्रोटीन, फाइबर, और आइसोफ्लेवोन्स के लिए बेहतरीन विकल्प है और इसमें डेयरी वाले दूध में पाए जाने वाले धमनी-क्लॉजिंग कोलेस्ट्रॉल भी नहीं होते। दूध के एक अन्य विकल्प के रूप में पौधों से प्राप्त पदार्थों जैसे बादाम या नारियल से बना दूध भी स्वस्थ्य के लिए सर्वोत्तम है।