धार्मिक त्योहारों के संबंध में PETA इंडिया का पक्ष
PETA इंडिया हर संभव अवसर पर जानवरों के अधिकारों के प्रति सजगता फैलाने का प्रयास करता है, जिनमें धार्मिक उत्सव और त्योहार भी शामिल हैं। हम सभी धर्मों के लोगों से अनुरोध करते हैं कि वह जानवरों को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाए बिना हर त्योहार का उत्सव मनाए या जानवरों की पूजा करें। हर संवेदनशील व्यक्ति इस विचार का समर्थन करता है क्योंकि जानवरों के साथ किया गया शोषण हर स्थिति में असमर्थनीय है। PETA इंडिया के ज़्यादातर कर्मचारी हिन्दू हैं लेकिन हम त्योहारों से संबंधित किसी निश्चित अवधारणा का पालन नहीं करते क्योंकि PETA इंडिया का प्रमुख उद्देश्य जानवरों के प्रति की जाने वाली क्रूरता के खिलाफ़ आवाज़ उठाना है। हम अपनी संस्था में सभी प्रकार के धर्मों के लोगों या निरीश्वरवादी सदस्यों, समर्थकों, वालंटियर और कर्मचारियों का स्वागत करते हैं और पूर्ण सहिष्णुता के साथ सबकी खुशी और भलाई की कामना करते हैं।
जिस प्रकार मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनियाँ इस प्रकार के उत्सवों का प्रयोग अपने उत्पादों का प्रचार करने के लिए करती हैं, ठीक उसी प्रकार PETA इंडिया भी इन अवसरों पर दयालुता का प्रचार करता है जिसका प्रचार हर धर्म में किया गया है। उदहारण के लिए हम वेलेंटाइन्स डे के अवसर पर लोगों को यह संदेश देते हैं कि प्रेम हर सजीव प्राणी से किया जा सकता है और इसे केवल मानवीय बंधनों से इतर देखने की आवश्यकता है। ईद के अवसर पर फलों और खजूर से भी त्यौहार का आनंद उठाया जा सकता है, जिससे कई बेज़ुबान बकरियों की जान बचाई जा सकेगी। नागपंचमी का उत्सव विशेषतः साँपों को सम्मानित करने हेतु मनाया जाता है न कि उन्हें और पीड़ा देने के लिए। Earth Day का विशेष अवसर जानवरों एवं पर्यावरण के हित में वीगन जीवनशैली अपनाने की प्रतिज्ञा लेने के लिए बिल्कुल उचित अवसर है।
लेकिन सोशल मीडिया के ज़माने में जानवरों का शोषण करने वाले और उन्हें नापसंद करने वाले विरोध का सबसे पुराना तरीका अपनाकर जनता का ध्यान प्रमुख विषय से भटकाने का पूरा प्रयास करते हैं। वह तथ्यों को तोड़-मरोड़कर, संदेश को जानबूझकर गलत तरीके से पेश करके और झूठ फैलाकर लोगों को मूर्ख बनाने का पूरा प्रयास करते हैं। उनको यह अच्छे से ज्ञात है कि लोग इसे सच की तरह ग्रहण करेंगे। कृपया आप इस जाल में न फंसे।
PETA इंडिया जानवरों के प्रति क्रूरता को समाप्त कराने हेतु कार्य करता है। यह हमारे द्वारा पिछले 20 वर्षों में किए गए विभिन्न कार्यों के हाइलाइट्स हैं और इन्हें देखकर आपको ज्ञात होगा कि हमने किस व्यापक स्तर पर जानवरों की जान बचाने वाली परियोजनाओं का संचालन किया है।
हमारे द्वारा जानवरों के हित में कई कदम उठाए गए हैं जैसे मांस हेतु प्रयोग किए जाने वाले जानवरों के साथ किए जा रहे व्यवहार की जांच करना, क्रूर पशु-परीक्षणों पर रोक लगवाना, बच्चों को दयालुता के महत्व को समझाना और कई जानवरों को सर्कसों से रेस्क्यू करना। हमारा अधिकांश ध्यान उन चार प्रमुख उद्योगों पर है जिनके ज़रिये जानवरों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया जाता है अर्थात परीक्षण, भोजन, फ़ैशन और मनोरंजन, लेकिन हम कई अन्य परियोजनाओं का भी संचालन करते हैं जैसे साथी जानवरों के उद्योग के अंतर्गत और कार्मिक जानवरों के साथ की जाने वाली गहन क्रूरता का विरोध। PETA इंडिया चौबीस घंटे सक्रिय रहने वाली एक आपातकालीन रिस्पांस लाइन (+9820122602)चलाता हैं क्योंकि पशु अधिकार संगठन होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम जानवरों को हर प्रकार से संरक्षण प्रदान करें।
PETA इंडिया इस सिद्धान्त के तहत कार्य करता है कि जानवर हमारे द्वारा परीक्षण करने, भोजन बनने, वस्त्र बनने, मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने, या किसी अन्य तरीके से दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं। इसलिए हम हाथियों को जंजीरों से आज़ादी प्रदान करने की बात करते हैं क्योंकि आपकी और हमारी तरह उनका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य भी उनकी उन्मुक्त गति, पारिवारिक तालमेल और आत्म स्वतंत्रता पर निर्भर करता है। हम हमेशा से पशु बलि के खिलाफ़ आवाज़ उठाते आए हैं क्योंकि किसी बेज़ुबान का गला चीरे बिना भी समुदाय के लिए बहुत कुछ अच्छा किया जा सकता है। हम किसी भी खूनी खेल हेतु बैलों के शोषण के प्रति आवाज़ उठाते है क्योंकि मनुष्यों को किसी भी संवेदनशील प्राणी को मारने-पीटने, जानकर डराने और उनके शारीरिक अंगों को तोड़ने-मरोड़ने का कोई हक़ नहीं है। हम वीगन जीवनशैली के अनुरूप और क्रूरता-मुक्त ढंग से विशेष अवसरों को मनाने का प्रचार करते हैं क्योंकि इस प्रकार से जानवरों को शोषित नहीं किया जाता। हम आगे भी बिना धार वाले माँझे से पतंग उड़ाने और शादियों एवं अन्य अवसरों पर बिना आवाज़ वाले पटाखों के प्रयोग जैसे संवेदनशील विकल्पों का आह्वान करते रहेंगे जिससे हमे हमारे आपातकालीन रिस्पांस लाइन पर किसी पक्षी के धारदार माँझे के कारण चोटिल होने या तेज़ आवाज़ के कारण अपने घर से भागे कुत्ते के संबंध में सहायता हेतु निवेदन कम से कम प्राप्त हो।
सबसे अच्छी बात है कि हर प्रकार के विशेष अवसर को, चाहे वह धार्मिक हो या नहीं, जानवरों के प्रति संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर मनाया जा सकता है। इस प्रकार की दयालु सोच से हमारे उत्सव में तो कोई कमी नहीं आएगी लेकिन कोई बेज़ुबान प्राणियों की जान ज़रूर बच जाएगी।