PETA इंडिया केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह करता है कि आमेर के किले में हाथियों से मनुष्यों में टीबी संक्रमण पर रोक लगायें।

Posted on by Surjeet Singh

समूह का कहना है कि जयपुर के पास टीबी संक्रमित हाथियों के उपचार के बिनामोदी  जी  के  ‘2025  तक  टीबी  मुक्त  भारत’  के  सपने  को  साकार  नही किया जा सकता।

टीबी जो  कि  एक  संक्रामक  बीमारी  है  व  ये  हाथियों  से  मनुष्यों  में  तेजी  से  फैलती है, आमेर  का  किला जहां टीबी  की  बीमारी  से  ग्रस्त  अनेकों  हाथियों  को पर्यटक  सवारी  कराने  में  इस्तेमाल  किया  जा  रहा  है, ये जानने के बाद PETA इंडिया  ने  भारत  के  स्वास्थ  व  परिवार  कल्याण  मंत्री  श्री  जगत  प्रकाश  नड्डा और  केन्द्रीय  टीबी  रोग  विभाग  के  अधिकारियों  को  एक  पत्र  लिख  कर  संक्रमित हाथियों  को  अलग  कर  उन्हें  तत्काल  पशु  चिकित्सा  व  देखभाल  प्रदान  करने  तथा बिना  स्वास्थ्य  जांच  के  जबरन  पर्यटन  सवारी  में  इस्तेमाल  हो  रहे  हाथियों  की  तुरन्त टीबी  जांच  कराने  की  मांग  की  है।

यह  पत्र  भारतीय  पशु  कल्याण  बोर्ड  की  उस  रिपोर्ट  के  बाद  लिखा  गया  है  जिसमें खुलासा   किया   गया   था   कि   जयपुर   में   पर्यटन   सवारियों   तथा   अन्य   पर्यटक गतिविधियों  हेतु  बंदी  बनायें  गये  91  हाथियों  में  से  कम  से  कम  10  टीबी  संक्रमित हैं। भारतीय  पशु  कल्याण  बोर्ड  की  इस  जांच  दल  में  राजस्थान  वन  व  पशुपालन विभाग  के  वरिष्ठ  पशु  चिकित्सकअन्य  पशु  चिकित्सक  तथा  वन्यजीव  विशेषज्ञ शामिल  थे।  टीबी  पीड़ित  हाथियों  से  पशु  देखभालकर्ताओंपर्यटकों  तथा  सामान्य जनता  को  टीबी  संक्रमित  हो  सकता  है।  वर्ष  2017  में  मात्र  5  महीनों  के  अन्दर मरने  वाले  4  हाथियों  की  पोस्टमार्टम  रिपोर्ट  से  संकेत  मिले  हैं  कि  अधिकांश  हाथी साँस  की  बीमारी  से  पीड़ित  थे  सम्भवतः  टीबी  तथा  आन्तरिक  परजीवी  बीमारियां।

रिपोर्ट  में  यह  भी  कहा  गया  है  कि  जयपुर  में  हाथियों  के  लगातार  शहर  में  आने जाने  तथा  पर्यटकों  के  सम्पर्क  में  रहने  से  उनमें  टीबी  संक्रमण  ग्रहण  करने  तथा उनके  द्वारा  दूसरे  मनुष्यों  व  हाथियों  में  टीबी  संक्रमित  करने  की  सम्भावनाएं  बढ़ जाती  है।  इसके  साथ  ही  साथ  टीबी  होने  के  अन्य  कारणों  में  अत्यधिक  तनाव, दर्दनाक  संयम  विधियांबंधे  रहनाअशुद्ध  पेलजलबेसमय  खानपान  तथा  खराब पोषण  भी  अहम  भूमिका  निभाते  हैं।

PETA  इंडिया हाल  ही  में  हुए  वैज्ञानिक अध्ययनों  से  यह  संज्ञान  लेता  है  कि  हमारे  देश  में  बंदी  जानवरों  जैसे  हाथीभैंस तथा  गायों  में  टीबी  संक्रमित  करने  की  अत्यधिक  संम्भावना  होती  है।   अध्ययनों में यह भी कहा गया है कि मानवों  में  होने वाले  टीबी  संक्रमण  में  प्रतिशत  संक्रमण  जानवरों  से  आता  है  जबकि  बच्चों  के मामले  में  यह  आंकडा  और  भी  ज्यादा  है।  राजस्थान  में  परीक्षण  के  दौरान  जिन हाथियों  में  टीबी  के  साकारात्मक  लक्षण  पाये  गये  हैवर्तमान  राजस्थान  सरकार उन्हे  किसी  भी  प्रकार  की  चिकित्सीय  देखभाल  प्रदान  नही  कर  रही  है  व  अन्य हाथियों  की  जांच  कराने  में  असफल  रहकर  वह  जानवरों  के  सम्पर्क  में  आने  वाले पर्यटकों  के  जीवन  को  जोखिम  में  डाल  रही  है।

अब कार्रवाई करो