सूअर स्पेयर पार्ट्स नहीं हैं! PETA ने हाल ही में किए गए अंग ‘प्रत्यारोपण’ को बेकार विज्ञान घोषित किया
हाल ही में, आनुवंशिक रूप से परिवर्तित सूअरों के हृदय और गुर्दे के इन्सानों में पहले प्रत्यारोपण की रिपोर्ट सामने आई। इस संदर्भ में इन्सानों को यह याद रखना चाहिए कि पशु-से-मानव प्रत्यारोपण अनैतिक, खतरनाक और संसाधनों की बर्बादी है। इन संसाधनों का उपयोग बेहतर अनुसंधानों के लिए किया जा सकता है। इन प्रक्रियाओं के दौरान अज्ञात वायरस प्रसारित करने का भारी जोखिम रहता है और हाल ही में फैली महामारी से सबक लेते हुए इन्हें पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए। जानवर किसी प्रकार का औज़ार न होकर सजीव एवं बुद्धिमान प्राणी हैं। उदाहरण के लिए, सूअर, किसी साथी को लुभाने या भूख व्यक्त करने की कोशिश करते समय oinks, grunts, या squeals का उपयोग करके संवाद करते हैं। इंसानी माताओं की तरह मादा सूअर भी पने बच्चों को दूध पिलाते समय गाती है। मनुष्यों के लिए सबसे स्वस्थ और सबसे सुरक्षित विकल्प, सूअरों और अन्य जीवित प्राणियों को अकेला छोड़ना और आधुनिक विज्ञान का उपयोग करके इलाज के तरीकों की तलाश करना है। जिन मरीजों को अंगों की सख्त जरूरत है उनके लिए मानव अंगों को सहजता से उपलब्ध कराने की सुविधा होनी चाहिए।
मनुष्यों को अपने लाभ के लिए, अन्य सजीव प्राणियों के अंगों को चुराने का कोई अधिकार नहीं है – और न ही हमें इसकी आवश्यकता है।
Surgeons successfully transplant a PIG KIDNEY into a human for the first time
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— Daily Mail Online (@MailOnline) October 21, 2021
मनुष्यों को अपने लाभ के लिए, अन्य सजीव प्राणियों के अंगों को चुराने का कोई अधिकार नहीं है – और न ही हमें इसकी आवश्यकता है।
Xenotransplantation एक बहुत ही व्यर्थ का विज्ञान है और इसमें एक प्रजाति के अंगों का प्रयोग दूसरी प्रजाति के लिए किया जाता है। इस विधा का कोई तात्पर्य नहीं है और यह केवल मीडिया के माध्यम से नाम कमाने का एक ज़रिया है।
हाल ही में किए गए सूअर किडनी “प्रत्यारोपण” प्रक्रिया के बारे में पाठकों को अंधेरे में रखकर आधा सच बताया जा रहा है।
इस प्रक्रिया के लिए वैज्ञानिकों द्वारा एक ब्रेन-डेड रोगी का उपयोग किया जिसे वेंटिलेटर द्वारा जीवित रखा गया था, न कि किसी ज़िंदा इंसान का। सुअर के गुर्दा को रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रोगी के शरीर के बाहर से केवल 54 घंटों के लिए जोड़ा गया।
ऐसे व्यर्थ प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जानवरों को जीवनभर की कैद और कई क्रूर प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है एवं अंत में इन जानवरों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। इसका मतलब है कि इन निर्दोष जानवरों को पूरे जीवन गहन शोषण और बेसमय मौत का सामना करना पड़ता है।
अब तक जानवरों से इंसानों में किया गया कोई भी अंग प्रत्यारोपण सफ़ल नहीं हुआ है।
आज भी मनुष्यों और जानवरों की जान बचाने का सबसे सफ़ल उपाय मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए उचित तकनीक और क़ानूनों का निर्धारण करना है।