PETA इंडिया द्वारा लोगों को जागरूक किया गया कि पग प्रजाति के कुत्तों को हर समय सांस लेने में परेशानी होती है
PETA इंडिया द्वारा देशभर में बिलबोर्ड अभियान चलाकर जनता को यह संदेश दिया गया कि पग जैसे विदेशी प्रजाति के ब्रैचिसेफलिक (चपटे-मुँह) वाले कुत्तों को सांस लेने में परेशानी होती है और जनता से उन्हें कभी न खरीदने का अनुरोध किया गया। पग भारत में सबसे लोकप्रिय कुत्तों की प्रजातियों में से एक हैं, इसलिए संस्थान द्वारा यह कदम उठाया गया। छोटी नाक और चपटे मुँह वाले कुत्तों को अक्सर सांस की गंभीर समस्याओं के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। PETA इंडिया द्वारा यह बिलबोर्ड चंडीगढ़, कोच्चि, लखनऊ और पुणे में लगवाए गए हैं।
वोडाफोन के विज्ञापन द्वारा भारत में लोकप्रिय हुए पग जैसे विदेशी प्रजाति के और अन्य श्वास-बाधित नस्लों (BIB) जैसे French एवं English bulldogs, pugs, Pekingese, Boston terriers, boxers, Cavalier King Charles spaniels, और shih tzus प्रजाति के कुत्ते ब्रेकीसेफेलिक सिंड्रोम नामक जानलेवा बीमारी से पीड़ित होते हैं। इस बीमारी के कारण कुत्ते अपनी कोई भी प्राकृतिक गतिविधि सामान्य ढंग से नहीं कर पाते हैं जिसमें टहलना, गेंद का पीछा करना, दौड़ना और खेलना शामिल है जो उनकी मानसिक और शारीरिक अवस्था के लिए बहुत ज़रूरी है। इसलिए PETA इंडिया ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला से पशु क्रूरता निवारण (कुत्ते प्रजनन और विपणन) नियम, 2017 में संशोधन करने का आग्रह किया है, ताकि इन जानवरों के प्रजनन पर रोक लगाई जा सके।
PETA इंडियन ने यह भी चेतावनी दी है कि कुत्तों की बिक्री करने वाली अधिकांश दुकानें व ब्रीडर्स राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं होते और उनके द्वारा बेचे जाने वाले “पेडिग्री” कुत्तों को उचित पशु चिकित्साकीय देखभाल और पर्याप्त भोजन, व्यायाम, प्यार और समाजीकरण से वंचित रखा जाता है। जिन लोगों के पास पर्याप्त समय, प्यार, करुणा और संसाधन हैं, PETA इंडिया उन सभी लोगों से आग्रह करता है कि आश्रय गृहों या सड़कों पर जीवन यापन कर रहे किसी कुत्ते को गोद लें व उसे अपनाएं।