PETA इंडिया की अपील के बाद पंजाब सरकार ने ग्लास-लेपित मांझे के सभी रूपों पर प्रतिबंध लगाया
PETA, इंडिया द्वारा मांझे के कारण होने वाली पक्षियों और मनुष्यों की मौतों के समाधान हेतु की गयी अपील के परिणामस्वरूप, पंजाब विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग ने अपनी मौजूदा नीति में संशोधन किया है और धारा 5 के तहत एक संशोधित अधिसूचना जारी की है। इस संशोधन के उपरांत ‘पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986’ के अंतर्गत, “राज्य में केवल सूती धागों के साथ पतंगबाज़ी करने की अनुमति होगी, जो तेज/धातु/कांच के घटकों/चिपकने वाले कणों या धागे को मजबूत करने वाली सामग्री से पूर्ण रूप से मुक्त होने चाहिए।“
यह प्रतिबंध पक्षियों, मनुष्यों एवं एवं जानवरों के साथ–साथ पर्यावरण की सुरक्षा का मद्देनज़र जारी किया गया है। अब पतंगबाजी के लिए केवल ऐसे सूती धागे का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसको धारदार बनाने के लिए उस पर किसी भी पदार्थ का लेप न चड़ा हो। इस सरकारी अधिसूचना में उल्लेखित किया गया है:
पंजाब राज्य में, नायलॉन, प्लास्टिक या लोकप्रिय ‘चीनी डोर/मांझा‘ सहित किसी भी अन्य सिंथेटिक सामग्री से बने पतंग उड़ाने वाले धागे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद, आपूर्ति, आयात और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। साथ ही, अन्य प्रकार के सिंथेटिक (जिन्हें सिंथेटिक पदार्थ के साथ उद्धृत किया गया है) और गैर-बायोडिग्रेडेबल धागों एवं खांच की परत वाले धारदार माँझे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हैं।
सरकार द्वारा जारी यह अधिसूचना में शीशे व अन्य पदार्थों के लेप चड़े घातक माँझे के इस्तेमाल को मनुष्यों एवं पशु पक्षियों को जानलेवा बताया गया है, शहर में बिजली गुल होने का एक कारण भी माँझा है, एक बिजली की लाइन में व्यवधान डालने से 10,000 लोग प्रभावित होते हैं। बेघर जानवर भोजन की तलाश में भोजन के साथ साथ ऐसे धागे (मांझे) भी निगल जाते हैं जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और त्रिपुरा की सरकारे पहले से ही माँझे के इस्तेमाल के संबंध में इसी तरह की अधिसूचनाएं जारी कर चुकी हैं।
मांजा, अपने सभी रूपों में, मनुष्यों, पक्षियों, अन्य जानवरों और पर्यावरण को खतरे में डालता है। धारदार माँझे के प्रयोग के कारण, हर साल बहुत से जानवर एवं इंसान चोटिल होते हैं और अपनी जान गँवाते हैं। इस साल की शुरुआत में अमृतसर में एक लड़की के चेहरे पर तेज मांजा लगने से 44 टांके आए थे और फगवाड़ा में एक लड़के के चेहरे और गर्दन पर पतंग के धागे से लगे घाव के कारण 30 टांके आए थे। मोहाली में पतंग की तेज डोर से एक व्यक्ति की अंगुलियां और नाक जख्मी हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। लुधियाना में एक 4 साल के लड़के के गाड़ी की खिड़की से बाहर मुंह निकालने पर माँझा फँसने से चहरे पर गंभीर चोटे आई और उससे 120 टांके लगाने पड़े।
इस घातक माँझे का पक्षियों की आबादी पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। माँझे की चपेट में आने से अक्सर पक्षियों के पंख व पैर कट जाते हैं, व वह अक्सर ऐसे गंभीर घावों एवं जख्मों के शिकार होते हैं की बचावकर्ता भी उनकी मदद नहीं कर पाते और वह धीमी और दर्दनाक मौत का सामना करते हैं। जनवरी में, गुजरात की जीवदया चैरिटेबल ट्रस्ट ने उल्लेखित किया कि उत्तरायण के त्योहार के दो हफ्तों के दौरान मांजा से घायल 1600 से अधिक पक्षियों को इलाज के लिए लाया गया। सिर्फ जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में, गुजरात में मांझे से 482 पक्षी घायल हुए, जिनमें कई प्रवासी पक्षी भी शामिल थे।