रायगढ़: PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद बैलों की अवैध दौड़ के आयोजन पर रोक लगाई गई
12 जनवरी को रायगढ़ जिले के टुडिल में होने वाली बैलों की अवैध लड़ाई के संबंध में एक चिंतित नागरिक से रिपोर्ट प्राप्त होने पर, PETA इंडिया ने रायगढ़ पुलिस के साथ मिलकर तुरंत कार्रवाई करके इस कार्यक्रम पर सफलतापूर्वक रोक लगवाई।
पशुओं को लड़ने के लिए मजबूर करना, न केवल स्वाभाविक रूप से क्रूर और हिंसक हैं बल्कि अवैध भी हैं। लड़ाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पशुओं को गंभीर शारीरिक चोटों और मनोवैज्ञानिक संकट सहित अत्यधिक पीड़ा सहनी पड़ती है। इन पशुओं की आक्रामकता बढ़ाने के लिए लगातार इनका शारीरिक शोषण किया जाता है जिस कारण यह अक्सर कुपोषण से पीड़ित पाएं जाते हैं। इस प्रकार की अवैध लड़ाइयों के नियम भी बहुत क्रूर और अमानवीय होते हैं।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशुओं को आपस में लड़ने से उकसाना अपराध है। वर्ष 2014 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा PETA इंडिया और जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड नामक सरकारी निकाय के हक़ में दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले के अनुसार, बैलों, कुत्तों सहित सभी जानवरों की मनोरंजन के लिए आयोजित लड़ाइयों को अवैध घौषित किया गया और इन पर रोक लगाने का आदेश दिया गया।
बैलों की अवैध लड़ाई के दौरान बैलों को एक दूसरे पर हमला करने के लिए जबरन उकसाया जाता है और यह लड़ाइयाँ बहुत ही क्रूर, खूनी और जानलेवा होती हैं। इन दोनों पशुओं को तब तक लड़ने के लिए बाध्य किया जाता है जब तक इनमें से एक अपनी हिम्मत न हार जाएँ और जिंदा बचे दूसरे घायल और चोटिल पशु को विजेता घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार के अवैध आयोजनों के दौरान बेज़ुबान पशुओं को कई प्रकार की गंभीर शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिसमें फ्रैक्चर, खूनी घाव और तनाव शामिल हैं। जिन आयोजनों में पशुओं को जबरन लड़ने के लिए मजबूर किया जाता है वे क्रूर, हिंसक और अवैध हैं।
पशु क्रूरता के खिलाफ़ नौ महत्वपूर्ण कदम