PETA इंडिया की शिकायत के बाद सूर्यापेट में संरक्षित पक्षियों का शिकार करने के आरोप में सात लोगों पर मामला दर्ज किया गया
एक दयालु नागरिक द्वारा यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि उन्होंने कुछ लोगों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित पक्षियों, कैटल एग्रेट्स और कॉर्मोरेंट को गोली मारते देखा, PETA इंडिया ने इसे रोकने के लिए हुजूरनगर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य किया और सभी आरोपियों के खिलाफ़ FIR दर्ज़ कराई।
शनिवार, 26 अक्टूबर को, हुजूरनगर पुलिस स्टेशन ने PETA इंडिया की शिकायत के आधार पर WPA, 1972 की धारा 9 और 51 के तहत सात व्यक्तियों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए FIR दर्ज़ करी। यह FIR भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 3(5) के साथ पठित धारा 325; शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 27; और पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 11 (1)(ए) और (1)(एल) के अंतर्गत दर्ज़ करी गयी है। कथित तौर पर, कलमलचेरवु गांव के एक निवासी ने इन आरोपियों को मछली के तालाब में मछली खाने से पक्षियों को दूर रखने के लिए काम पर रखा था। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से चार मज़ललोडर बंदूकें, चार टिन बारूद और छह मृत पक्षी जब्त किए।
‘शस्त्र अधिनियम, 1959’ की धारा 27(1) में हथियारों के अवैध निर्माण और उपयोग के खिलाफ़ कम से कम तीन साल की जेल की सजा जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने का प्रावधान है। WPA, 1972 की धारा 9 संरक्षित जंगली जानवरों के शिकार पर रोक लगाती है। अनुसूची I के अंतर्गत नामित प्रजाति के पशुओं को मारने के खिलाफ़ कम से कम तीन साल की जेल की सजा, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और कम से कम 25,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। BNS, 2023 की धारा 325 के अंतर्गत किसी भी पशु को शारीरिक क्षति पहुंचाना या जान से मारना एक संज्ञेय अपराध है जिसके खिलाफ़ पांच साल तक की जेल की सजा, जुर्माने या दोनों का प्रावधान है। इसके अलावा PCA धिनियम, 1960 की धारा 11(1) उन कृत्यों को परिभाषित करती है जिन्हें पशुओं के प्रति क्रूरता के रूप में परिभाषित किया जाता है और जिनके खिलाफ़ दंड प्रावधानों का निर्धारण किया गया है। इस अधिनियम की धारा 11(1)(l) के अंतर्गत विशेष रूप से, किसी भो पशु को मारना या उसका अंग-भंग करना एक संज्ञेय अपराध है।
पशु क्रूरता के खिलाफ़ कुछ महत्वपूर्ण कदम