PETA इंडिया के समर्थक 3.5 मीटर लंबी ‘पशुओं’ की पोशाक पहनकर जनता से भारतीय गणतंत्र का सम्मान करने और वीगन जीवनशैली अपनाने का आग्रह करेंगे

Posted on by Erika Goyal

76वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर, PETA इंडिया के समर्थक एक प्रदर्शन के माध्यम से नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 51ए(g) का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जिसके अनुसार, पशुओं के प्रति दया भाव रखना और उनका सम्मान करना हर भारतीय नागरिक का मौलिक कर्तव्य है जिसके लिए वीगन जीवनशैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है। इस रोमांचक प्रदर्शन हेतु समर्थकों द्वारा भारतीय झंडे से प्रभावित होकर 3.5 मीटर लंबी नारंगी, सफेद और हरे रंग की पोशाक पहनी जाएंगी एवं मुर्गी एवं गाय के मुखौटे पहनकर लोगों को पशुओं की दर्द एवं पीड़ा का एहसास कराया जाएंगा। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित इस प्रदर्शन का प्रमुख उद्देश्य जनता को वीगन जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित करना है।

PETA इंडिया द्वारा उल्लेखित किया गया है कि आम धारणा के विपरीत, वीगन भोजनशैली एक भारतीय अवधारणा है और आज से 5,000 साल पहले एक हिमालयी जनजाति का पूर्णतः वीगन होना इसका एक सशक्त उदहारण है। इसके अलावा, वीगन भोजनशैली अपनाने वाले लोग केवल ऐसे शाकाहारी (इस भोजनशैली की शुरुआत भी भारत से हुई है) होते हैं जिनके द्वारा डेयरी उत्पादों का पूरी तरह से त्याग किया जाता है और सिर्फ पेड़-पौधों पर आधारित भोजनशैली का निर्वाह किया जाता है। इस भोजनशैली ने पश्चिमी भोजनशैली को चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से ही प्रभावित करना शुरू कर दिया था। वर्ष 2023 के YouGov India पोल के अनुसार, 59 प्रतिशत प्रतिभागियों ने जल्द ही वीगन भोजनशैली अपनाने की इच्छा व्यक्त करी, 74 प्रतिशत प्रतिभागियों का मानना ​​है कि वीगन भोजनशैली हमारी सेहत के लिए एक अच्छा विकल्प है, 73 प्रतिशत को लगता है कि यह पशु क्रूरता को रोकने के लिए एक अच्छा समाधान है, 72 प्रतिशत का मानना है कि यह पर्यावरण के लिए एक अच्छा कदम है और 62 प्रतिशत प्रतिभागियों को लगता है कि इस भोजनशैली को अपनाना बहुत आसान है।

PETA इंडिया उल्लेखित करता है कि भोजन हेतु मौत के घाट उतारे जाने वाले पशुओं को अत्यंत पीड़ा का सामना करना पड़ता है जैसा कि “Glass Walls” नामक बेहद चर्चित वीडियो में देखा जा सकता है जिसमें डेयरी उद्योग की वास्तविक क्रूरता का पर्दाफाश किया गया है। फ़ैक्टरी फ़ार्मों पर मुर्गियों को हज़ारों की संख्या में भीड़-भाड़ वाले शेडों में पैक किया जाता है, जहां उन्हें जमा कचरे के बीच अमोनिया की दुर्गंध में जबरन खड़ा होने के लिए बाध्य किया जाता है। उन्हें हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भोजन के लिए मारी जाने वाली मुर्गियों और अन्य जानवरों को वाहनों में भरकर इतनी अधिक संख्या में बूचड़खानों में ले जाया जाता है कि कई जानवरों की हड्डियाँ टूट जाती हैं, दम घुट जाता है, या रास्ते में ही मृत्यु हो जाती हैं। बूचड़खानों में मजदूर अक्सर बकरियों, भेड़ों और अन्य जानवरों का गला कम धार वाले ब्लेडों से काट देते हैं। साथ ही, मछली पकड़ने वाली नौकाओं के डेक पर जीवित रहते हुए भी मछलियाँ का गला चीर दिया जाता हैं।

वीगन जीवनशैली अपनाने वाला प्रत्येक व्यक्ति हर साल लगभग 200 पशुओं की जान बचाता है, अपने कार्बन फुटप्रिन्ट को व्यापक रूप से कम करता है और स्वयं के लिए कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और मोटापे जैसी जानलेवा बीमारियों के खतरे को भी कम करता है।  SARS, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू और संभवतः COVID-19 सभी जानवरों को खाना बनाने के लिए कैद करने और मारने से जुड़े हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि जलवायु आपदा के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन जीवनशैली की ओर एक वैश्विक बदलाव आवश्यक है जिससे वर्ष 2050 तक 80 लाख इंसानों की जान बचाई जा सकती है। Oxford University के शोध के अनुसार, वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति अपने कार्बन फुटप्रिंट को 73% तक कम कर सकता है।

 

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