सनि लियोन और डेनियल वेबर के बच्चों ने PETA इंडिया का “दयालु बालक पुरस्कार” प्राप्त किया
बाल दिवस (14 नवंबर) के अवसर पर, अभिनेत्री सनी लियोन और संगीतकार डैनियल वेबर के बच्चे – 8 वर्षीय निशा कौर वेबर और 5 वर्षीय जुड़वां बच्चे अशर सिंह वेबर और नोआ सिंह वेबर को PETA, इंडिया की ओर से “दयालु बालक पुरस्कार” से नवाज़ा गया है। उन्हें यह पुरस्कार पशुओं के प्रति दयालुता भरे कार्य करने के परिणामस्वरूप दिया गया है।
इन तीनों भाई-बहन ने हाथियों की मदद करने के लिए, देश भर के 1,00,000 छात्रों के साथ मिलकर हाथियों को पशुओं की संरक्षित प्रजातियों की सूची में जोड़ने का अनुरोध करने वाली याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। इस याचिका में, केंद्र सरकार के पशुपालन और पर्यावरण मंत्रियों से हाथियों को प्रदर्शन, प्रशिक्षण या जरबन करतब करने से बचाने का अनुरोध किया गया है जिससे हाथियों को पर्यटकों को सवारी करने या सर्कस जैसे मनोरंजन के अन्य साधनों हेतु प्रयोग होने से रोका जा सके। इन बच्चों ने दीपावली से पहले, अपने दोस्तों को पशुओं का ध्यान रखते हुए यह त्योहार मानने हेतु प्रेरित करने के लिए Phool ब्रांड के “पटाखे” (जो वास्तव में पौधे के बीज हैं) भी बांटे थे क्योंकि शोर वाले पटाखों से जानवरों को बहुत डर लगता जिस कारण वह भटक भी जाते हैं। यह बच्चे अपने माता-पिता के साथ मिलकर अपनी जगह के सामुदायिक पशुओं को भोजन पानी भी उपलब्ध कराते हैं।
सनि लियोन ने कहा, “मैं अपने बच्चों को जानवरों के प्रति दयालु होना सिखाता हूं ताकि वे बड़े होकर सभी के प्रति दयालु बनें। अगर आज हम अपने बच्चों को दयालुता सिखाते हैं तो हम भविष्य के लिए एक शांतिपूर्ण समाज की नींव रख सकते हैं।“
निशा ने कहा, “जानवर मेरे दोस्त हैं और जब मेरे दोस्तों को चोट लगती है तो मुझे अच्छा नहीं लगता है। जानवर भी हमारी तरह ही भूख, उदासी और खुशी महसूस करते हैं। इसलिए मुझे अपने भाइयों अशर और नूह के साथ उनकी देखभाल करना पसंद है।“
PETA इंडिया की डाइरेक्टर ऑफ एडुकेशन एंड यूथ आउटरिच पूजा महाजन ने कहा, “निशा, अशर और नूह अपने समुदाय और पूरे भारत में जानवरों के लिए बहुत बड़ा बदलाव ला रहे हैं। इस बाल दिवस पर, PETA इंडिया उनका और उन सभी बच्चों का आभार प्रकट करता है जो जानवरों के प्रति दयालु हैं।”
विभिन्न प्रकार के प्रदर्शनों हेतु प्रयोग किए जाने वाले जानवरों में गंभीर मानसिक बीमारियों के लक्षण देखें जा सकते हैं जैसे सिर को गोल गोल हिलना, सिर पटकना, या फिर सिर को आगे पीछे की स्थिति में हिलाते रहना जबकि प्रकृतिक महोल में रहने वाले हाथियों में इस तरह का व्यवहार देखने को नहीं मिलता। इन जानवरों को नियमित रूप से हिंसा के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है और दिन के अधिकांश समय जंजीरों से बांधकर रखा जाता है।
PETA इंडिया ने जनता से आग्रह करता है कि वे दीपावली के दौरान अपने साथी जानवरों को घर के अंदर रखकर, सभी खिड़कियां, दरवाजे और पर्दे बंद करके बाहरी शोर को कम करने के लिए रेडियो या फिर टीवी चालू कर दें।
PETA इंडिया बच्चों के बीच दयालुता का प्रचार-प्रसार करने के लिए, शिक्षकों को दयालु नागरिक कार्यक्रम निःशुल्क प्रदान करता है। इसे 8 से 12 वर्ष की आयु के छात्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह उन्हें जानवरों के प्रति दयालु होने का महत्व सिखाता है।
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