TB संक्रमण के मद्देनजर PETA इंडिया ने सरकार से अनुरोध किया है कि त्योहारों में हाथियों के इस्तेमाल पर रोक लगे।
COVID-19 के चलते केरल के त्रिशूर पूरम हाथी उत्सव पर रोक का हवाला देते हुए PETA इंडिया ने केरल सहकारिता, प्रयत्न एवं देवास्वम मंत्री श्री कड़कमपल्ली सुरेंद्रन जी से गुज़ारिश की है हाथियों एवं मनुष्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए वो देवस्वम बोर्ड एवं राज्य के मंदिरों को निर्देशित करें कि त्यौहारों के दौरान बंदी हाथियों का उपयोग न किया जाए। केरल के कई बंदी हाथियों में ट्यूबरक्युलोसिस (TB) रोग से ग्रसित पाये गए हैं वा इसका संक्रमण सिर्फ हाथियों के बीच ही नहीं बल्कि हाथियों से इंसानों के बीच भी तेज़ी से फैलता है।
यह सामने आया है कि, केरल में हर साल केवल टीबी से औसतन 25 हाथियों की मौत हो जाती है। कभी कभी हाथियों में इसके लक्षण दिखते नहीं हैं लेकिन वे इस रोग का फैलाव जरूर करते हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह इंसान से बिना जाने समझे कोरोना वायरस फैलता हैं। हाथियों को हैंडल kअरने वाले कई लोगों को यह पता भी नहीं होता कि उनके हाथियों को TB है या नहीं, और अगर किसी को पता होता भी है तो भी वे हाथियों को संगरोध करने और उनका इलाज कराने के लिए तैयार नहीं होते हैं। जब संक्रमित जानवरों को त्योहारों के लिए भीड़ भाड़ वाली जगह पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो वे अन्य हाथियों और मनुष्यों के साथ निकट संपर्क में आते हैं और उन सभी में वे वह बिमारी फैला देते हैं।
PETA इंडिया ने श्री सुरेन्द्रन जी को यह भी सुझाव दिया है कि वह वन, पशुपालन एवं चिड़ियाघर मंत्री की मदद से देवस्वम बोर्ड और मंदिरों के तहत आने रहने वाले समस्त हाथियों की टीबी जांच करवायें साथ ही वे स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, महिला और बाल विकास मंत्री की मदद से हाथियों के देखभाल कर्ताओं वा महावतों की भी स्वास्थ जांच करवाएँ।
केरल के कई प्रगतिशील मंदिरों ने पहले से ही जनता को TB से सुरक्षित रखने और हाथियों को तनावपूर्ण संगीत, शोरशराबा और भीड़ से बचाने हेतु त्यौहार एवं उत्सव के दौरान हाथियों की जगह लकड़ी के जीवाथास, देवी देवताओं की मूर्ति, हाथी के आकार की प्रतीकात्मक प्रतिमाओं का इस्तेमाल करते हैं।
कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में 2012 में प्रकाशित 600 हाथियों पर किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि “भारत में बंदी बने एशियाई हाथियों में ट्यूबरक्युलोसिस (मायकोबक्टेरियम) के सबूत मिले हैं जिसके लक्षण दिखाई नहीं देते“ केरल में वैज्ञानिकों द्वारा 2013 में प्रकाशित एक अध्ययन में पता चला कि “महावत और बंदी हाथियों के बीच M ट्यूबरक्युलोसिस यह मिश्र प्रजातियों के संचरण के रोग के दो संभावित मामले हो सकते हैं।“ पहले मामले में इंसान से हाथी (के बीच संक्रमण) और दुसरे मामले में हाथी से इंसान के बीच M ट्यूबरक्युलोसीस का संक्रमण पाया गया है। 2016 में एक समाचारपत्र में प्रकाशित एक लेख में वैज्ञानिकों ने कहा है कि, “मिश्र प्रजाति के ट्यूबरक्युलोसिस के संक्रमण के सबूत मिल चुके हैं।“ जहाँ लगभग 800 हाथियों की और उनके महावतों का परिक्षण तीन साल की अवधि में किया गया था। 2017 में समाचार पत्र में प्रकाशित एक लेख में लिखा गया था कि, दक्षिणी भारत में तीन जंगली एशियाई हाथियों में TB पाया गया था, उन्होंने लिखा है कि “ट्यूबरक्युलोसिस मनुष्यों (रिवर्स ज़ूनोसिस) में फैल सकता है और जंगली हाथियों में भी उभर सकता है”।
प्रदर्शनों हेतु हाथियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगे