तेलंगाना सरकार ने PETA इंडिया की अपील के जवाब में पक्षियों को पिंजरे में बंद करने के खिलाफ सलाह जारी की

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया की अपील के जवाब में, तेलंगाना वन विभाग ने सभी फील्ड अधिकारियों को पक्षियों को पिंजरे में बंद करने और उन्हें कैद रखने पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने का निर्देश देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह एडवाइजरी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 और केंद्र सरकार के निकाय, भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) के मार्गदर्शन के अनुरूप जारी की गई है।

2011 , 2013 और 2021 में भी पक्षियों को पिंजरे में बंद करने के खिलाफ AWBI की सलाह को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाए गए थे। तेलंगाना इस क्रूर प्रथा के खिलाफ निर्देश जारी करने वाला नवीनतम राज्य है। अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, हरियाणा और सिक्किम की सरकारों ने पक्षियों को पिंजरे में बंद करने पर कार्रवाई करने और प्रतिबंध लगाने के निर्देश देते हुए इसी तरह के परिपत्र जारी किए हैं।

पक्षियों को पिंजरों में बंद करना ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ का उलंघन है जिसमे कहा गया है कि किसी भी जानवर को किसी पिंजरे में बंद करना या किसी ऐसे स्थान में कैद रखना जो उसकी ऊंचाई, लंबाई व चौड़ाई के अनुसार पर्याप्त नहीं है व जहां वह जानवर या पक्षी ठीक से मूमेंट भी न कर पाये वह गैरकानूनी है। पक्षियों के लिए हवा में उड़ना उनका प्रकर्तिक स्वभाव है। इसके अलावा ‘वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के तहत देशी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के पकड़ने, पिंजरों में कैद करके रखने और उनकी खरीद फ़रोक्त करने पर भी रोक है और इसका पालन ना करने पर 3 साल तक कैद और 25000 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा का प्रावधान है। PETA इंडिया ने AWBI को भेजे अपने पत्र में उनसे अनुरोध किया है कि वह केंद्र सरकार को सलाह दे कि वो पक्षियों को कैद करने पर प्रतिबंध लगाए व PCA अधिनियम में संशोधन कर पक्षियों को अपने मनोरंजन हेतु घरों में कैद करके रखने, उनका व्यापार करने व किसी भी अन्य तरह से उनके इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाए।

अपने प्रकर्तिक जीवन में यह पक्षी अनेकों तरह की सामाजिक गतिविधियों में लीन रहते हैं जैसे कि रेत में नहाना, लुका छुपी खेलना, नाचना, साथी दोस्तों के साथ मिलकर घोंसले बनाना व अपने नन्हें बच्चों की परवरिश करना। लेकिन जब इन पक्षियों को पिंजरों में कैद कर लिया जाता है तो यह खुशदिल पक्षी उदास व निराश हो जाते हैं। वह तनाव के चलते खुद को चोटिल कर लेते हैं। बहुत से लोग इन पक्षियों के पर कुतर देते हैं ताकि वह आसमान में ना उड़ सकें हालांकि पक्षियों के लिए उड़ना उतना ही जरूरी है जितना कि इन्सानों के लिए चलना फिरना।

पक्षियों को पिंजरे में कैद करने के खिलाफ़ कार्रवाही करें