PETA इंडिया ने अपने नए बिलबोर्ड के माध्यम से आइसक्रीम के लिए नवजात बछड़ों को उनकी मां से अलग करने की क्रूरता को उजागर किया
PETA इंडिया ने अपने नए बिलबोर्ड अभियान के माध्यम से बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई की जनता को डेयरी उद्योग की गहन क्रूरता से अवगत कराया जिसके लिए नवजात बछड़ों को जबरन उनकी माताओं से छीनकर अलग किया जाता है और उनके दूध को चुराकर आइसक्रीम जैसे डेयरी उत्पादों का निर्माण किया जाता है। PETA इंडिया ने सभी दयालु उपभोक्ताओं को याद दिलाया कि डरे हुए नवजात बछड़े जब जन्म के तुरंत बाद अपनी मां से अलग हो जाते हैं तो वे पीड़ा में चिल्लाते हैं और उनकी व्यथित माताएं शोक मनाती हैं और अपने खोए हुए बच्चों को कई दिनों तक पुकारती रहती हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जनता को वीगन जीवनशैली अपनाने हेतु प्रेरित करना है।
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कोलकाता में यह बिलबोर्ड नंबर 4 ब्रिज, पार्क सर्कस, बालीगंज, कोलकाता, पश्चिम बंगाल 700017 पर स्थित है।
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चेन्नई में यह बिलबोर्ड राजाजी रोड, फोर्ट सेंट जॉर्ज, चेन्नई, तमिलनाडु 600009 पर स्थित है।
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मुंबई में यह बिलबोर्ड ओपेरा हाउस, चर्नी रोड ईस्ट, गिरगांव, मुंबई, महाराष्ट्र 400007 पर स्थित है।
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हैदराबाद में यह बिलबोर्ड 7-10 इनर रिंग रोड, ओवेसी पुरा, मसाब टैंक, हैदराबाद, तेलंगाना 500028 पर स्थित है।
दिल्ली में यह बिलबोर्ड V3S मॉल, लक्ष्मी नगर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली, दिल्ली 110092 पर स्थित है।
बेंगलुरु में यह बिलबोर्ड सेंट्रल मॉल, रेजीडेंसी रोड, अशोक नगर, बेंगलुरु, कर्नाटक 560025 पर स्थित है।
गाय अपने बछड़े के जन्म के केवल पांच मिनट के भीतर एक मजबूत मातृ बंधन विकसित कर लेती हैं और नीचे दी गयी घटना में उनके जीवनभर के प्यार का उदहारण देखा जा सकता है। उत्तर कन्नड़ में एक गाय चार साल से हर दिन उसी बस ड्राइवर का रास्ता रोकती है जिसने ट्रैफिक दुर्घटना में उसके बच्चे को मार डाला था। इस बस चालक द्वारा अपनी बस का रंग भी बदल लिया गया लेकिन फिर भी यह गाय अपने बच्चे की याद में हर दिन ऐसा करती है। इस गाय द्वारा सड़क पर किसी और गाड़ी का रास्ता नहीं रोका जाता है।
भारत में, अधिकांश लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि डेयरी उद्योग गोमांस उद्योग के लिए मवेशियों का प्राथमिक आपूर्तिकर्ता है और अधिकांश पारिवारिक फार्म अब ख़त्म हो गए हैं। आज, डेयरी के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश गायों और भैंसों को फ़ैक्टरी जैसे वातावरण में पाला जाता है और इनका कृत्रिम रूप से गर्भाधान किया जाता है (अर्थात बलात्कार किया जाता है, क्योंकि श्रमिक गाय के मलाशय में एक हाथ डालते हैं और एक धातु की छड़ से बैल के वीर्य को उसकी योनि में डालते हैं)। नर बछड़ों को डेयरी उद्योग में बेकार माना जाता है और इन्हें मरने के लिए लावारिस छोड़ दिया जाता है। इनमें से बचे हुए पशुओं को उनके मांस एवं चमड़े हेतु मौत के घाट उतारने हेतु बेच दिया जाता है, जबकि मादाओं को उनकी मां के समान ही सजा दी जाती है और उन्हें तब तक दूध देने की मशीन के रूप में उपयोग किया जाता है जब तक कि उनका शरीर पूर्ण रूप से खराब नहीं हो जाता जिसके बाद उन्हें लावारिस छोड़ दिया जाता है या सस्ते मांस के लिए मार दिया जाता है।