त्रिशूर में हाथियों के हमले के बाद PETA इंडिया ने अनुष्ठानों और समारोहों में यांत्रिक हाथियों के इस्तेमाल की मांग की
हाल ही में, गुरुवयूर रविकृष्णन नामक मानसिक रूप से प्रताड़ित हाथी द्वारा पुथुपल्ली अर्जुनन पर किए गए गंभीर हमले के बाद, जिसमें कई भक्तों और एक महावत को गंभीर चोटें आई थी, PETA इंडिया ने कोचीन देवास्वोम बोर्ड के पास एक याचिका दायर दर्ज़ कराई हैं जिसमें बोर्ड के अधीन सभी मंदिरों से वास्तविक हाथियों के स्थान पर यांत्रिक हाथियों के उपयोग पर विचार करने का आग्रह किया गया है। PETA इंडिया द्वारा सभी हाथियों को एक सैंक्चुअरी में पुनर्वासित करने का अनुरोध भी किया गया है जिससे यह अपना आगे का जीवन अपने साथी हाथियों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से बीता सके और जीवनभर के शारीरिक एवं मानसिक शोषण से उभर सकें।
देश में अनेकों जगह हाथियों को अवैध रूप से कैद करके रखा जा रहा है या बिना अनुमति के किसी दूसरे राज्य में ले जाया जाता है। क्योंकि हाथी जंगली पशु हैं जो स्वेच्छा से मानव आदेशों का पालन नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें सवारी, समारोहों, करतबों या फिर अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल के लिए उन्हें गंभीर दंड, पिटाई और धातु लगे नुकीले हथियारों के द्वारा प्रशिक्षित और नियंत्रित किया जाता है। कई हाथियों को पैरों की अत्यधिक दर्दनाक बीमारियाँ होती हैं और कंक्रीट में घंटों तक जंजीर से बंधे रहने के कारण पैर में घाव हो जाते हैं, और अधिकांश को प्राकृतिक जीवन के साथ-साथ पर्याप्त भोजन, पानी या पशु चिकित्सकीय देखभाल से भी वंचित रखा जाता है।
कैद की हताशा के कारण कई हाथियों में असामान्य व्यवहार विकसित होने और प्रदर्शित होने लगता है। निराश हाथी अक्सर हमलावर हो जाते हैं और मुक्त होने की कोशिश करते हैं, अनियंत्रित होकर मनुष्यों, अन्य पशुओं या फिर संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, बंधक हाथियों ने 15 साल की अवधि में केरल में 526 लोगों की जान ले ली। थेचिक्कोट्टुकावु रामचंद्रन नामक हाथी जो लगभग 40 वर्षों से कैद में है और केरल के त्योहार सर्किट में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले हाथियों में से एक है, ने कथित तौर पर 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया जिसमे – छह महावत, चार महिलाएं और तीन हाथी शामिल हैं।
PETA इंडिया द्वारा पहले भी त्रिशूर के इरिंजाडाप्पिली श्री कृष्ण मंदिर को ‘इरिंजादपिल्ली रमन’ और कोच्चि के थ्रिककायिल महादेव मंदिर को ‘महादेवन’ नाम के दो विशालकाए यांत्रिक हाथी भेंटसवरूप दिए गए हैं। इन दोनों मंदिरों द्वारा धार्मिक कर्मकांडों, उत्सवों, या किसी अन्य उद्देश्य के लिए जीवित हाथियों या अन्य पशुओं को कभी भी इस्तेमाल ना करने की दयालु प्रतिज्ञा की गयी है। वर्तमान में, इरिंजादपिल्ली रमन और महादेवन का उपयोग मंदिरों में समारोह आयोजित करने के लिए किया जाता है और इन्हें अनुष्ठान, शादी एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए किराए पर लिया जा सकता है।
PETA इंडिया हाथियों का उपयोग करने वाले सभी स्थानों और कार्यक्रमों को वास्तविक हाथियों की बजाय रोबाटिक हाथियों या अन्य विलकपों को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है। PETA इंडिया पहले से ही कैद में रह रहे हाथियों को अभयारण्यों में भेजने की वकालत करता है, जहां वे जंजीरों से मुक्त होकर अन्य हाथियों की संगत में रह सकते हैं और वर्षों के अलगाव, कैद और दुर्व्यवहार के मनोवैज्ञानिक आघात और शारीरिक कष्ट से निजात पा सकते हैं।